हायकु
हायकु
शक्ति साधना
कलम तलवार
अर्जित विधा
आस के बीज
रोपता मन धीर
खिले जीवन
टूटते स्वप्न
भावनायें आहत
रिसते रिश्ते
देह अतिथि
जग मेला निश्चल
आत्मा अटल
जीवन माला
कटते धूप छाँव
जपते मनु
कलम आग
बेख़ौफ़ उगलती
न्याय का सच
छल से सत्ता
चरित्र ही हरती
छलनी आत्मा
ओस की बूँदें
तृण शीत चादरा
धूप ले उड़ी
बाँध साकार
कल्पना फनकार
सिंधु मुट्ठी में
– सिलविया शिखा