हायकु
हायकु
फूल इतरा
शहीद समाधि पे
खिला सार्थक
नूतन वर्ष
अभिनंदन वंदन
घर घर में
कलमकार
शब्द चित्र उकेरे
समाज हित
नूतन वर्ष
स्वागत में आतुर
नव उमंग
छाया कोहरा
रवि डर के भागा
बादल ओट
कुमुद खिला
अली रसास्वादन
करे अकेला
देश नमन
हिमालय मुकुट
विश्व पूजित
मिली है थाती
सोचो, जांचो, समझो
पिता से हमें
कुहासा सर्द
धूप नजर बंद
हवा बेदर्द
जगत मीठा
स्वर घुले मिठास
वाणी अपनी
– शान्ति पुरोहित