हाइकु
इंद्रधनुष
बिखेरे सात रंग
मन से श्वेत
ओढ़े श्रावण
हरित उत्तरीय
हर्षित धरा
हृदय-झील
तैरतीं आकांक्षाएँ
मीन मानिंद
मन में मेरे
बारिश चाहत की
सौंधाया तन
अमलतास
तपता देता पर,
रंग बासंती
गुलमोहर
लाल-लाल अंगारे
शीतल करें
पर्यावरण,
सुंदर आवरण,
बचा हरण
सावन झूले,
हम कहाँ हैं भूले,
मन में डोले
अपने मित्र ,
मिलें,लड़ें,झगड़ें,
बातें विचित्र
उड़ान मेरी
होगी बहुत ऊँची
उड़ने दो तो
बरसे मेघ
हर्षाया तन-मन
भीगे नयन
हर सुबह
एक नया अध्याय
खोले सूरज
तेरी मुस्कान,
देती नवीन ऊर्जा
सिखाती जीना
चूड़ी माँ की,
बजती खन-खन,
रोटी बेलती
बहना की चूड़ियाँ,
राखी लिए हाथों में,
बुलाएं भैया
चूड़ी माँ की,
भली लगती तब,
थपकी देती
– मंजु महिमा