हाइकू
तुम आये हो
बगिया में बहार
कुंद है खार
बोली बिटिया
तोतली तोतली-सी
आँखें नम हैं
उड़ता पंक्षी
अंतहीन आकाश
आशा निराशा
सड़क लम्बी
कठिनाइयाँ घोर
आँख मिचौली
सलोनी गोरी
नई बहू जैसी है
मैं भी दीवाना
एक सपना
अधूरी-सी चाहत
प्रतिदिन ही है
ग़रीब हम
तुम हो सरकार
मत लो आह
मुझको गाँव
हमेशा याद आता
घाव जगाता
मृत्यु आनी है
कर लो कुछ कर्म
वही है मोक्ष
जीवन बस
खट्टी मीठी-सी
रसोई जैसे
– नीरज कुमार मिश्रा