हाइकू
हाइकू
कटघरे में
सत्य के बँधे हाथ
व्यंग्य है न्याय
कुछ न माँगे
सुख-दुःख सहती
माँ धरती है
धरी गगरी
याद करे बाबुल
छलका पानी
बेघर लोग
उठा जीवन-बोझ
जीना सिखाते
बारिश हुई
ख़ुशी से नाचे बच्चे
टपके घर
सत्य डगर
शूलों भरा सफ़र
अग्नि-परीक्षा
मन की पीड़ा
बहे अँखियाँ नीर
घाव गंभीर
ओस की बूँदें
नवांकुर पी झूमे
हवा के गीत
नारी शोषण
है बेड़ियाँ चूड़ियाँ
श्रृंगार फांस
जीवन भार
टपके अश्रु स्वेद
बाल श्रमिक
– दीपक रौसा
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