ख़ुद घुटती
ग़म ही समेटती
समर्पित माँ
हाथों में गोरी
खनकाये कंगन
मंजीरा धुन
जल-भंवर
बच्चे का प्रतिबिम्ब
खिलता पुष्प
अपसंस्कृति
काग़ज़ की है कश्ती
मिटती हस्ती
ख़ंजर वार
सुख-शान्ति समृद्धि
आतंकवाद
बेरोज़गारी
बिन स्वावलंबन
दुनियादारी
भारी बारिश
कराहती सड़कें
ज़ख्म गहरे
कौन किसका
पीर बस अपनी
मौन जिसका
घटना घटी
रिश्ते-नाते भी छँटे
सहारे हटे
कुण्ठित स्त्रियाँ
उपेक्षित तुलसी
दवा को सज़ा
– शेख़ शहज़ाद उस्मानी
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