ग़रीब भूखा
दर पे ईश्वर के
दान पेटी में।
मशीनी पंजा
चला घर गिराने
मार्ग प्रशस्त।
पुत्री मुख से
प्रथम स्वर पापा-
मधुर गीत।
लघु संसद
दरख़्त की छाँव में
बहसबाजी।
बिखरा रंग
बन्दूक के वार से
फाग उत्सव।
बुने जो स्वप्न
पल में धराशायी
वक्त का फेर।
श्रद्धा व भक्ति
कल्पना मूर्त रूप
मनुज रमा।
कल्पना बस्ती
परियों का बसेरा
मन में बसी।
नैनों में नीर
राहों में शूल बिछे
प्रेम डगर।
गिरे दरख़्त
विकास की दौड़ में
पथिक निढाल।
– सन्दीप कुमार भारतीय
Facebook Notice for EU!
You need to login to view and post FB Comments!