हाइकु
हाइकु
गंध प्रसाद
चाँद तारों को बाँटे
रात की रानी
धर यौवन
मुस्काए, बहकाये
सदाबहार
तन क्यूँ मोम
जलता बूँद-बूँद
मरता मेघ
आगे प्रकाश
पीछे चलता साया
थकता मैं नहीं
मीठी गोली से
ये तीखे तेरे ताने
मेरी हैं साँसें
छोटा-सा लाल
छिलती कलम है
श्रमिक बाल
रंगे क्यूँ तूने
मस्त होंठ गुलाबी
डूब ना जाऊं
रंग छुपे हैं
हर आंख में कहीं
श्वेत हैं पन्ने
– अरुण सिंह रूहेला