हाइकु
हाइकु
डूबता सूर्य-
सज गया सिंदूर
नाक से माँग।
जोड़े में बैठा
तीरवर्ती बुजुर्ग-
डूबता सूर्य।
इंद्रधनुष-
शादी में कुम्हारन
बर्तन लाई।
मेले में स्त्रियाँ-
गूँजती तितलियाँ
छोर से पोर।
झरता पत्ता-
मैं क़ब्रों के बीच में
नि:शब्द खड़ी।
टूटता तारा-
आस पाए युगल
जकड़े हाथ।
अदाह्य दीप
फैलाये चिंगारियाँ-
दल जुगनू।
कलश यात्रा
मंदिर स्थापना की-
बजाज नाचे।
उमड़े मेघ-
श्यामपट्ट पे श्वेत
लिखी रचना।
दामनी आँधी-
रात्रि पहरेदार
बजाए सीटी।
शीत में आँधी-
छतों पे टंगी बत्ती
फड़फड़ाए।
झंडोत्तोलन-
विडियोग्राफ़ी भू की
मोबाइल से।
चंद्रमा हिले
दीपों की ठोकर से-
देवदीवाली।
फटे बादल-
वाहन मनु हाल
तैरते तृण।
चिंगुरी आँखें
तपा उम्र बताई-
झुलसे पत्ते।
माँ का बनाया
याद आये स्वस्तिक-
लक्ष्मी पूजन।
वन में धूप
दीन का नीड़ जला
बौराई हवा।
विछोही पत्र
मुड़ नही देखते
निर्मोही पुत्र।
तोरणहार
विंडचैम लटके
सोनालू डार।
फैले सितारे-
महमहाना बेला
गोधूलि फैले।
– विभा रानी श्रीवास्तव