हाइकू
हाइकु
सत्य चिरायु
क्षण भर की होती
झूठ की आयु
पेड़ का तना
शाखाएँ बना कर
फैला घना
पेड़ सहारा
गर्मी में सूर्य जब
बढ़ाये पारा
पीने का जल
व्यर्थ बहा जो आज
दुष्कर कल
ताल को पाट
दलालों ने बिछा दी
अपनी खाट
पेड़ बबूल
तन पर लिए है
हज़ारों शूल
जीवन-वायु
प्रातः भ्रमण पर
देती शतायु
पर्वत-झाड़
प्रकृति से मानव
रहा उखाड़
थोथे भाषण
रेत स्तंभों पे टिका
झूठा शासन
फैली सुगंध
पुष्पों पे लगते ही
पराग कण
– सूर्य करण सोनी
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