हाइकु
हाइकु
तेज हवाएं
तोड़ रहीं दर्पण
झील में चाँद
निशीथ काल
करे विदेशी बाला
पैड़ी सफाई
पूर्णिमा रात
चंद्रवलय परे
धुँधले दीप
निशीथ नार
कतार पनघट
छलकें घड़े
पूर्णिमा रात
लहरों संग देखे
दंपत्ति ख्वाब
उठा घूँघट
कलियाँ हुईं फूल
गुँजार भौरें
नव प्रसूता
सेंक रही है रोटी
शिशु रुदन
बाल्टी में बूँदें
सतत टपकन
गुँजन ताल
पालना घर
बिलखती बच्चियां
दुलार स्वप्न
मध्यम हवा
बिगाड़ती झील में
पेड़ों के अक्स
– मँजु शर्मा