ख़बरनामा
हाइकु संग्रह ‘तीन टिप्पे’ के लोकार्पण
प्रस्ताव सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में कानपुर के प्रथम हाइकुकार कैलाश बाजपेयी के हाइकु संग्रह ‘तीन टिप्पे’ के लोकार्पण के अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ कवि डॉ. सुरेश अवस्थी ने कहा कि हाइकु कविता करना आसान नहीं है, क्योंकि तीन पंक्तियों व सीमित अक्षरों में बात कहनी होती है। कुछ लोग हाइकु शौकिया तौर पर लिख रहे हों लेकिन कैलाश बाजपेयी ने इसके शास्त्रीय व संवेदनात्मक पक्ष को समन्वित करके ऐसी रचनाएँ की हैं, जो भविष्य में उदाहरण के रूप में प्रस्तुत की जाएँगी।
पुस्तक में ‘हाइक-युगल’ के रूप में नया प्रयोग देखने को मिला जो दोहा की अनुभूति कराता है, यह एक शुभ लक्षण है। मुख्य अतिथि एवं हाइकु काव्य की देश की शीर्षस्थ रचनाकार डॉ. मिथिलेश दीक्षित ने कहा कि हाइकु गहन और तीव्र अनुभूति की कविता है। हाइकु जापान से आयातित नहीं है, इसका नाम जापानी अवश्य है, किन्तु इसका उद्गम भारत का संस्कृत साहित्य है। अमरकोष व प्रश्नोपनिषद में हाइकु कविताएं हैं।
लखनऊ से आए डॉ. यतीष चतुर्वेदी ने भी हाइकु-काव्य पर अपनी बात कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार कृष्णकांत शुक्ल ने की एवं संचालन चक्रधर शुक्ल ने किया।
इस अवसर पर कानपुर नगर के रचनाकार हरीलाल मिलन, अशोक शास्त्री, जयराम जय, सुरेन्द्र गुप्त ‘सीकर’, रमेश मिश्र आनंद, सुरेश गुप्त ‘राजहंस’,
राजकुमार सचान, सुनील खन्ना, देवीचरण कश्यप, लुल्ल कानपुरी, राजेश सिंह आदि के साथ ही दिल्ली से आए संस्कृतिकर्मी राजनारायण दीक्षित आदि उपस्थित रहे।
– सुरेन बिश्नोई