ख़बरनामा
हाइकु दिवस समारोह का आयोजन एवं पुस्तक विमोचन
“इंटरनेट एवं अर्थ प्रधान युग में लोगों के पास समय की कमी हो गयी है। ऐसे में, साहित्यकारों के सामने एक चुनौती खड़ी हो गयी है कि वो पाठकों के सामने क्या परोसे, ताकि पाठक उसे चाव से पढ़ सके। ऐसी स्थिति में हाइकु की प्रासंगिकता बढ़ गयी है। यह विधा जापान की भले ही है, लेकिन भारत में भी यह पढ़ी और कही जा रही है।”- प्रो. जवाहर मुथा
स्थानीय आर ब्लाॅक स्थित THE INSTITUTION OF ENGINEERS (INDIA) भवन, पटना में रविवार 04.12.2016 को प्रो. सत्यभूषण वर्मा की स्मृति को समर्पित 12 वाँ हाइकु दिवस समारोह संपन्न हुआ। इसमें बतौर मुख्य अतिथि श्री मुथा ने कहा कि काव्य की विधा हाइकु आज लोकप्रिय हो रही है, जो गर्व की बात है।
वहीं वरिष्ठ लेखक डाॅ. कमलेश भट्ट कमल ने कहा कि हाइकु जीवन और प्रकृति से जुड़ी हुई ऐसी कविता है, जिसमें गागर में सागर धारण करने की अपूर्व क्षमता है। उन्होंने कहा कि आज ऐसा दौर है, जहाँ लोगों को वक्त की कमी है, इसलिए मैं हाइकु को 21 वीं सदी की कविता के रूप में देखता हूँ। वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. नरेन्द्र कल्ला ने कहा कि जीवन में यदि कला और साहित्य न हो, तो जीवन निरर्थक है। ऐसे निरर्थक जीवन में रंग भरा जाना निहायत जरूरी है। डॉ सतीशराज पुष्करणा जी ने भी अपने विचार रखे।
समारोह में उपस्थित साहित्यकारों द्वारा साझा संग्रह ‘शत हाइकुकार साल शताब्दी’ और ‘अथ से इति-वर्ण स्तम्भ’ वर्ण पिरामिड साझा संग्रह का (सम्पादन- विभा रानी श्रीवास्तव) विमोचन एवं साहित्यिक संस्था की गृह पत्रिका साहित्यिक स्पन्दन के नये अंक का लोकार्पण किया गया। समारोह में पिरामिड विधा के संस्थापक सुरेश पाल वर्मा ‘जसाला’ द्वारा रचनाकार प्रीति सुराना, शेख शहजाद उस्मानी, वीणाश्री हेम्ब्रम, डाॅ प्रमोद कुमार पुरी, कंचन अपराजिता, राजेन्द्र मिश्रा, ऋता शेखर मधु, निखिल कुमार सिंह, शशि त्यागी, प्रगति मिश्रा, विभा रानी श्रीवास्तव को सम्मानित किया गया। वर्ण पिरामिड विधा के प्रचार प्रसार के एवं इसे पुस्तक रूप देने के लिए विभा रानी को विशेष सम्मान भी मिला।
समारोह में संगीता गोविल, इं गणेश बागी, पूनम आनंद, डा पुष्पा जमुआर, एकता कुमारी, संजय कुमार, गुंजन कुमार, मणिबेन द्विवेदी, प्रेमलता सिंह, ऐनुल बरौलीवी, ओसामा खान,अशोक कुमार श्रीवास्तव, सुषमा सिंह, मुकेश कुमार सिन्हा आदि उपस्थित थे।
– सुरेन बिश्नोई