पाठकीय
‘हस्ताक्षर’ के नए अंक का इंतजार रहता है: सय्यद अख्तर हुसैन
‘हस्ताक्षर’ वेब पत्रिका से जुड़ने का अवसर मुझे मई 2016 में मिला, जब मैं इस पत्रिका की संस्थापक एवं सम्पादक प्रीति ‘अज्ञात’ जी के सम्पर्क में आया। उस वक़्त मैं अपने शहर में ‘नयी दुनिया प्रेस’ के दवारा चलाये जा रहे ‘जल संरक्षण अभियान’ से जुड़ा था और उन्होंने इस नेक कार्य की सराहना कर, इसे पत्रिका के माध्यम से अधिक लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की थी। इस कार्यक्रम को पत्रिका के जून अंक में ‘अच्छा भी होता है’ स्तंभ में प्रकाशित किया गया था। इसके लिए मैं प्रीति जी, अनमोल जी और पत्रिका के सभी साथियों का दिल से आभारी हूँ। आपने न सिर्फ़ मेरे कार्य की प्रशंसा ही की बल्कि पत्रिका में इसे स्थान देकर अन्य लोगों को प्रेरित भी किया। जबकि व्यक्तिगत तौर पर हमारा कोई संपर्क नहीं था। तभी मुझे इस पत्रिका के अन्य पत्रिकाओं से अलग और ख़ास होने का अहसास हो गया था। मेरे मित्र, परिवार के सदस्यों ने जब इसे पढ़ा तो मुक्त कंठ से इस पत्रिका की सराहना करने से अपने आप को न रोक सके। उसके बाद से मैं और मेरे मित्रगण इस पत्रिका के हर संस्करण का इंतज़ार किया करते हैं। जैसे ही प्रीति जी नए संस्करण का लिंक फेसबुक पर डालती हैं, मैं तुरंत ही पढ़कर दोस्तों के बीच शेयर कर देता हूँ।
‘हस्ताक्षर’ का प्रत्येक अंक सहेजने वाला होता है और अब बेसब्री से इसका इंतजार रहता है। इसका कारण यह है कि इसमें प्रकाशित होने वाली रचनाएँ मौलिक होने के साथ ही रुचिकर भी होती हैं। हर खंड अपने आप में महत्वपूर्ण होता है।
जुलाई के अंक को पढ़ने का मौका मिला। मैं हर अंक की शुरुआत संपादकीय से करता हूँ। इसमें उन्होंने धर्म के बारे में बहुत ही सटीक टिप्पणी की है। उसका सार यह है कि “कोई भी धर्म हो वह इंसानियत सिखाता है लेकिन वर्तमान समय में ऐसा न होकर केवल राजनीति हो रही है। लोग अपने आप धर्म के ठेकेदार बन राजनीति की रोटियाँ सेक रहे हैं। लेकिन यदि घर और समाज के लोग अपने बच्चों को धर्म के बारे मे सही शिक्षा देंगे तो कहीं भी नफरत नहीं होगी और सभी लोग भाईचारे से रहेंगे। देश में अमन चैन रहेगा।” उम्मीद करता हूँ कि यह संपादकीय समाज के लोग समझ सकें एवं जीवन में उतार सकें। इसके लिए प्रीति जी को साधुवाद।
साथ ही संपादक जी ने अपनी कलम से हमें मुस्कुराने के पल भी दिए जब उन्होंने जानकारी दी कि ‘तेजस विमान’ भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है। पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा। शुक्रिया इसके लिए आवरण चित्र बहुत ही अच्छा और शानदार था।
जुलाई अंक मे प्रकाशित हर खण्ड अपने आप में बेहतरीन था और पत्रिका की गरिमा के अनुरूप प्रकाशित किया गया था। यदि इन सबका विस्तार से विश्लेषण किया जाए तो प्रकाशन समूह को अलग से एक और पत्रिका का प्रकाशन करना पड़ेगा।
हर खंड अपने आप में खूबसूरत है जिस तरह से इसमें स्थापित रचनाकारों के साथ नई प्रतिभाओं की रचनाओं को जगह दी गई है, वह कहीं और देखने को नहीं मिलता।
मई अंक में पानी के बारे में लिखा गया, ग्वालियर रेलवे स्टेशन का संस्मरण वाकई काबिले तारीफ है। मैं आपकी इस पत्रिका के माध्यम से सिन्धी समाज के समस्त सदस्यों को बधाई देना चाहता हूँ और उनसे प्रेरणा लेकर अगले वर्ष गर्मी में हमारी संस्था दवारा भी यह नेक कार्य करने की कोशिश जरूर करूँगा।
अंत में इसके प्रकाशन के लिए आप सभी का आभार। हमारी दुआ है कि यह पत्रिका हमेशा आगे बढ़े और देश ही नहीं, विदेश में भी नाम कमाए।
प्रीति ‘अज्ञात’, के. पी. अनमोल और ‘हस्ताक्षर’ की पूरी टीम को बधाई और आने वाले अंकों के लिए शुभकामनाएं।
– सय्यद अख्तर हुसैन