हर युग में कुचली गयी नारी…बस अब और नहीं
कानपुर (एस.एन.बी.)। साहित्य, कला संस्कृति की पत्रिका ‘समकालीन सांस्कृतिक प्रस्ताव’ का लोकार्पण हुआ। इस मौके पर कवि एवं दूरदर्शन के पूर्व उपमहानिदेशक रमाकांत शर्मा ‘उद्भ्रांत’ ने आत्मीय संवाद के माध्यम से अपने ‘त्रेता’ महाकाव्य से कविता प्रस्तुत की और नारी को सतयुग से लेकर त्रेता और द्वापर युग में कुचले और दबाये जाने का दर्द प्रस्तुत किया। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने कलयुग में नारी के साथ अत्याचार न करने की अपील की।
कार्यक्रम का आयोजन डाॅल्स डिलाइट स्कूल, गोविंद नगर में किया गया, जिसमें कानपुर में पले-बढ़े कवि रमाकांत शर्मा ‘उद्भ्रांत’ ने पत्रिका “समकालीन सांस्कृतिक प्रस्ताव” के नये अंक का भी लोकार्पण किया। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित श्री शर्मा ने महाकाव्य ‘त्रेता’ की पंक्तियां ‘‘मन से निर्देशित समाज में तीनों वर्णों में बारी-बारी से शासन करते हुए, चौथे वर्ण को किया प्रताड़ित सतत्, उसकी उपेक्षा की हाशिए पर ही रखा सदा, दबाया और कुचला पांवों तले। तीनों युगों ने तीनों वर्णों ने स्त्री प्रकृति के संग भी किया वैसा व्यवहार…।’’ पढ़ते हुए बताया कि किस तरह सतयुग में परशुराम की माँ रेणुका, त्रेता में सीता और द्वापर में द्रोपदी के साथ अन्याय हुआ। गंधर्वों को नहाते हुए देखने पर रेणुका का सिर काटा तो वहीं उस माँ सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी, जिन्होंने लंका में रहते हुए आंसुओं से सुहाग की रक्षा की। बावजूद इसके उनको वन जाना पड़ा। अपने दोनों पुत्रों को उन्होंने सर्वश्रेष्ठ संस्कार दिये। तो वहीं द्रोपदी को भरी सभा में चीरहरण का दर्द सहना पड़ा। इस तरह देखा जाये तो नारी के साथ हमेशा ही अत्याचार होता रहा है। उसे दबाया-कुचला जाता रहा है लेकिन अब ये सब बंद होना चाहिए।”
इस मौके पर उपस्थित लोगों ने कलयुग में स्त्री और दलितों के साथ अत्याचार बंद करने की अपील की। इस मौके पर काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें जयराम सिंह जय ने “गांवों और चैपालों ने बतियाना छोड़ दिया। इसीलिए तो खुशियों ने मुस्काना छोड़ दिया” पंक्तियों के माध्यम से वर्तमान समाज के एकांकी परिवारों का जिक्र किया।
कार्यक्रम का संचालन अशोक गुप्ता व संयोजन कैलाश वाजपेयी ने किया। मुख्य रूप से लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा अजय सिंह गौड़, हरि मिलन, सुनील वाजपेयी, कृष्णकांत शुक्ला, हिंदी आलोचक डाॅ. विमल, अमरीक सिंह दीप, विनोद श्रीवास्तव, मृदुल तिवारी, कन्हैया लाल गुप्त आदि मौजूद रहे।
सौजन्य-
विशाल शुक्ला
संवाददाता, हिन्दुस्तान, कानपुर
– के. पी. अनमोल