छंद-संसार
हम मान हिंदी का करें
(छंद: हरिगीतिका)
हिंदी हमारी शान, हिंदी जान है, अभिमान है।
जग में यही हिंदी हमारे राष्ट्र की पहचान है।
सागर मधुर शब्दावली का, भाव-रस की खान है।
हम मान हिंदी का करें, इसमें हमारा मान है।
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श्रेष्ठ भाषा बोलिए
(छंद: हरिगीतिका)
कश्मीरियो, बंगालियो, महराष्ट्रियो, गुजरातियो!
उड़ियो, असमियो, सिंधियो, कन्नड़, तमिल, पंजाबियो!
हिंदी बिना संभव नहीं उत्थान राजस्थानियो!
यह श्रेष्ठ भाषा बोलिए, हे श्रेष्ठ भारतवासियो!
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हमें प्रिय हिंदी भाषा
(छंद: कुंडलिया)
हिंदी भाषा प्रिय हमें, नमन करें दिन रात।
हिंदी ने मन हर लिया, हिंदी की क्या बात।।
हिंदी की क्या बात, हमारे भाग्य उजारे।
हिंदी जीवन प्राण, रक्त में रमी हमारे।
अखिल विश्व में धूम, मचा दे यह अभिलाषा।
तन मन कर दें भेंट, हमें प्रिय हिंदी भाषा।।
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दोहे-
हिंदी भाषा से करें, सच्चे मन से स्नेह।
लगे बरसता ज्यों कहीं, बंजर भू में मेह।।
हिंदी का मन से करे, घर-बाहर सम्मान।
वंदन श्रद्धा योग्य वह, राष्ट्रभक्त संतान।।
– राजेन्द्र स्वर्णकार