उभरते-स्वर
हँसी पे पीछे
हँसी के पीछे ग़मों को कभी छुपाया नहीं करते
ये दिलो के राज़ हर किसी को बताया नहीं करते
बेइंतेहा मोहब्बत है तो क्या, कुछ हद भी तय हो
रुपयों की तरह इसको लुटाया नहीं करते
जीवन भर का साथ निभाना, इसी का नाम मोहबत है
तनहा किसी को छोड़कर यूँ जाया नहीं करते
तेरे बिना तो चमन भी बंजर नज़र आता है अब
दिल तो ख़ुशियों का बगीचा है, इसके फूल मुरझाया नहीं करते
विश्वास से ही सारे रिश्ते जुड़े होते हैं कमल
अल्फ़ाज़ रूह से निकलते हैं, उन्हें आजमाया नहीं करते
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ज़िन्दगी एक एहसास
ज़िन्दगी एहसासों का नाम होती है
कुछ ख्वाबों और कुछ हक़ीक़तों का पैगाम होती है
पता नहीं कब पलट जाते हैं ज़िन्दगी के पन्ने राहों में
और कब सुबह और कब शाम होती है
भरे जाते है पन्ने कुछ अच्छी और कुछ बुरी यादों से
हर पल जो हँस के बिता ले, ज़िन्दगी उसी के नाम होती है
हम तो ढूंढ लेते है ग़मों में भी ख़ुशी आजकल
ख़ुशी तो कुछ दिनों की ही मेहमान होती है
धन दौलत तो हर कोई कमा लेते है कमल
जो सबके दिलो में बस जाये, वही ज़िन्दगी की शान होती है
– कमल कर्मा