हायकु
भीतर झाँको
बंद नयन कर
सुहानी झाँकी
मन-सुमन
दूर प्रियतम से
मुरझा गया
भू अनमोल
उपहार जननी
गोद में शिशु
गंध-सुगंध
करतार भोजन
शास्त्र की बात
हरी चुनर
प्रकृति ने ओढाई
धरा सगाई
धूप का रंग
खिलते मधुबन
हरसिंगार
लोहित सूर्य
अश्व रथ आरूढ़
ढलती रश्मि
खिल उठे हैं
स्मृतियों के सुमन
रीते ह्रदय
दर्द का बोझ
हर लम्हा जिंदगी
चार दिन की
– शान्ति पुरोहित