स्मृति-शेष
हमारी ‘हायकु रचनाकार’ शांति पुरोहित जी, अब हमारे बीच नहीं रहीं। बीते माह यह दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। हायकु के सन्दर्भ में उनसे तीन-चार बार बात हुई थी। हमेशा स्नेह और अपनेपन से बात करतीं थीं। जनवरी अंक के लिए जब उन्होंने रचनाएँ भेजीं, तो फिर अभिवादन किया था उन्हें…..कहाँ मालूम था कि ये आखिरी होगा!
शांति जी, नवांकुरों के लिए मार्गदर्शक एवं प्रेरणा-स्त्रोत थीं। उन्होंने लघुकथा, हायकु, मुक्तक, वर्ण पिरामिड आदि विधाओं को अपनी लेखनी से सजाया। वे बेहद प्रतिभावान, धैर्यवान, सरल स्वभाव की अनुपम महिला थीं। पठन-पाठन के प्रति उनमें अपार उत्साह था। ‘मुट्ठी भर अक्षर’ और ‘साझा नभ का कोना’ में उनकी रचनाओं को स्थान मिला। शांति पुरोहित जी अपनी रचनाओं के माध्यम से सदा हमारी स्मृतियों में रहेंगीं। ‘हस्ताक्षर’ परिवार की ओर से अपनी इस प्रिय रचनाकार को अश्रुपूरित आँखों से नमन, श्रद्धासुमन!
सार्थक होली
आज होली है और करुणा अपने घर के पूजा स्थल मे विराजित अपने कान्हा को सुगन्धित पुष्पों से होली खेला रही थी,तभी करुणा की बारह साल की पोती प्रिया आई और कहा ’’दादी,आप यहाँ बैठी हो, मैंने आपको सब जगह देखा।”
“रंग और पानी से होली खेलते है,अरे ! कहाँ है इतना पानी,बर्बाद करने के लिये”, करुणा ने कहा।
कैसे बच्चो को पानी की कीमत समझाई जाये। करुणा ने कुछ तय किया,करुणा महाराष्ट्र मे रहती थी यहाँ पर पानी की बहुत तंगी रहती है। कुछ दिनों बाद करुणा अपनी पोती प्रिया को उस जगह जे जाती है जहाँ, कई- कई दिनों से पानी आता है। महाराष्ट्र का एक गाँव तो ऐसा है, जहाँ पैतीस दिनों बाद पानी आता है। वहां के निवासियों को पानी स्टोर करके रखना पड़ता है।
रास्ते में प्यास लगने पर प्रिया करुणा से बिसलेरी की बोटल खरीदने को बोलती है,तब करुणा ने कहा ‘यहाँ पानी ऐसे नहीं मिलता है,परिचित का घर आ चुका था दोनों अन्दर गयी ,परस्पर अभिवादन के बाद सब बैठ गये थे।
करुणा ने कहा ‘’यहाँ कई कई दिनों से पानी आता है। पीने के लिए ही मुश्किल से पानी मिलता है नहाने के लिए तो यहाँ कोई सोचता भी नहीं है। कई-कई दिनों से यहाँ के लोग नहा पाते है सब का यही हाल था।
ये सब देख कर प्रिया बहुत दुखी हुई। उसे नहीं पता था, कि पानी की कितनी वेल्यु है हमारे जीवन में। प्रिया ने कहा ‘’पानी बिना इंसान जिन्दा नहीं रह सकता है इसलिए आज से बल्कि अभी से तुम और तुम्हारे दोस्त सभी मिलकर ये वादा करो अपने आप से कि आगे से होली पर पानी की बर्बादी नहीं करेंगे। केवल पुष्प और गुलाल से होली खेलेंगे। ’प्रिया ने अपनी दादी की बात सहर्ष मान ली करुणा ने पोती को गले से लगा लिया।
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हायकु :
निःशब्द मनु
अपने का सामना
मृत्यु से होता
कैसे विश्वास
जीवन का पल भी
बुलबुले-सा
कैद में आत्मा
ईश्वर धर्म सत्य
अज्ञातवास
जन्म में जन्म
बार-बार मर के
लेता मनुज
जिंदगी मानो
दह्कता दरिया
सुख न खोजो
– शान्ति पुरोहित
– शान्ति पुरोहित