छन्द-संसार
सायली
सायली कुल 9 शब्दों और पाँच पंक्तियों की पूर्ण कविता होती है। इसमें पहली पंक्ति में एक शब्द, दूसरी पंक्ति में दो शब्द, तीसरी पंक्ति में तीन शब्द, चौथी पंक्ति में दो शब्द और पाँचवी पंक्ति में एक शब्द होता है। यानी इस छोटी-सी कविता में क्रमशः 1-2-3-2-1 शब्द पंक्ति दर पंक्ति होते हैं। अन्य विधाओं की तरह इसकी भी प्रमुख शर्त है- भावपूर्ण, आशय युक्त होना। इसे मराठी कवि विशाल इंगळे ने विकसित किया और यह विधा बहुत जल्द मराठी साहित्य में लोकप्रिय हो गयी। अब यह हिंदी में भी संवर्धन पा रही है।
औरतें
पहचाने नज़रें
भीतर के घात
बनती तेज
तलवार
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औरतें
रंग जाती
हर रंग में
रचने सुखरूप
संसार
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औरतें
नहीं देखतीं
लकीरों की चालें
ख़ुद बनातीं
सीमाएँ
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औरतें
भर दोपहरी
उतारती देह से
दंशों के
चिह्न
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औरतें
सीख चुकीं
आधुनिक सभ्यता सामंजस्य
गतिशील बने
समाज
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औरतें
शिक्षा, नौकरी
सब में अव्वल
लक्ष्मीबाई-सी
हुँकार
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औरतें
वेदना संवेदना
भावनाओं का ज्वार
भीगी मुस्कान
चंद्रहार
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औरतें
झूलें झूला
भरे ऊँची पींग
ऊपर नीचे
अरमान
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औरतें
नदी-सी
बहती चलती बढ़ती
चंचल धारा
निर्मल
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औरतें
माणक मोती
कनक-सी सुंदर
नख शिख
श्रृंगार
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औरतें
खोलतीं बंधन
भीतरी गुंजलकों के
तार-तार
संभाल
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औरतें
माँगती हैं
एक ही वरदान
संस्कारित हो
औलाद
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औरतें
बंद आँखों
पढ़ लेती हैं
मन के
भाव
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औरतें
हाथ-पैर
रसोई, बैठक, ऑफिस,
नापती बन
वामनावतार
– डॉ. नीना छिब्बर