बाल-वाटिका
सर्दी की धूप
सर्दी की जब धूप सुहानी,
नरम दूब पर आई!
चमकीं ख़ूब ओस की बूँदें,
धरती भी मुस्काई!
नन्ही चिड़िया, भौंरा, तितली,
सबने मीत बनाया!
सरसों के पीले फूलों ने,
‘उसको’ गले लगाया!
चितकबरे कुत्ते के सँग जब,
उसका पिल्ला आया!
दौड़-दौड़ बगिया में उसने,
चक्कर एक लगाया!
धूप सुनहरी ने जादू की,
दुनिया अलग बनाई!
रोम-रोम सब पुलकित-पुलकित,
सबको धूप सुहाई!
– मेराज रज़ा