चिट्ठी-पत्री
मनोज चौहान
हर बार की तरह सुंदर और उम्दा अंक। प्रीति जी का सम्पादकीय सारगर्भित है। आशाजी की कहानी और उसकी समीक्षा बेहतर बन पड़ी है। कविता-कानन में छपी सभी रचनायें बेहतर हैं। सभी प्रकाशित रचनाकारों सहित सम्पूर्ण संपादक मंडल को ढेरों बधाईयां और शुभकामनाएं।
नीता पोरवाल
एक और उत्कृष्ट अंक के लिए करीम जी व प्रीति जी को हार्दिक बधाई। यह आपका और प्रीति ‘अज्ञात’ जी का अथक प्रयास ही है जो पत्रिका का हर अंक अपनी पठन सामग्री के कारण खास हो जाता है लेकिन इस अंक में तो आदरणीया सुमन केशरी दी की कविताएँ भी हैं सो पत्रिका में मानो चार चांद लग गए हैं।
‘भाषांतर’ में अंग्रेजी भाषा से हिंदी में मेरे द्वारा अनुदित जर्मन के महान कवि ‘रिल्के’ की कुछ कविताओं को स्थान देने के लिए करीम जी बहुत आभार।
सभी रचनाकार मित्रों को मेरा सप्रेम सादर अभिवादन।
नवीन गौतम
वाअह्ह्ह्ह…बहुत सुंदर अंक तैयार हुआ है। हस्ताक्षर परिवार और सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाईयाँ।
पुस्तक समीक्षा
बहुत ही सार्थक संवाद…साहित्य …..और….समाज से।
– आज़र ख़ान