भारत चिरकाल से ही महापुरुषों का देश रहा है जिन्होंने एक बेहतर समाज के निर्माण करने में अपना मूलभूत योगदान दिया है। यह समाज न जाने कितने सारे कुप्रथाओं से भरा हुआ है। आये दिन हम समाज में दहेज जैसे क...
जब भी कोई स्त्री स्वयं पर हुए शोषण की बात करती है तो प्रायः लोग कहते हैं कि “जब इतने लंबे समय तक इनका शोषण हो रहा था तो उसी वक़्त आवाज़ क्यों नहीं उठाई?”
कितना आसान है न यह कह देना! पर इसका उत्तर ...
वयमपि कवयः कवयः कवयस्ते कालिदासाद्या!' - मैं भी छंद बना लेता हूँ, तुक जोड़ लेता हूँ और कालिदास भी छंद बना लेते थे - तुक भी जोड़ ही सकते होंगे इसलिए हम दोनों एक श्रेणी के नहीं हो जाते। पुराने सहृदय ...
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन ने स्थापित किया है कि कृत्रिम मेधा (ए आई)आधारित मशीनीकृत आवाजों के साथ नियमित संचार बच्चों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह दूसरों के लिए...
आज धर्म को लेकर बड़ी बड़ी बहस बाज़ी हो रही है। बात बात पर हमारे धर्म, देवी- देवता का अपमान को लेकर कभी सिनेमा का बायकॉट करने की माँग, कभी किसी रंग को पहन कर नाच गाना करने पर बवाल! समझ नहीं आता कि ह...
पिछले साल के जाने और नए वर्ष के आगमन पर अमृता प्रीतम की एक कविता है- जैसे दिल के फिकरे से, एक अक्षर बुझ गया, जैसे विश्वास के कागज पर, सियाही गिर गयी, जैसे समय के होंठों...
दिसंबर का महीना और 16 तारीख जैसे ही कैलेंडर में हर बरस आती है वैसे ही दरिंदगी और हैवानियत की वह घटना अतीत के झरोखे से निकल कर सामने आ जाती है। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में घटित निर्भया कांड को अब 1...
लार्ड मैकाले ने 2 फ़रवरी, 1835 की Minute on Education नाम से एक रिपोर्ट भारत की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की सिफ़ारिश की थी और स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि भारत को ... है, तो इसकी ‘देशी और सांस्कृति...
नवरात्र यानी देवी माँ की आराधना का पर्व हर साल देश में श्रद्धा व उत्साह से मनाया जाता है। प्रतिदिन माँ की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ प्रथम गुरु है, माँ प्रथम आचार्य है और बेटी को लक्ष्मी, दुर्गा क...
अभिभावकों के रहते बच्चे हमेशा बच्चे ही होते हैं फिर वे आठ साल के हों या अड़सठ साल के ही क्यों न हों। बच्चों को जन्म देने का, इस दुनिया में लाने का निर्णय यदि हमारा है तो उनको सदा ही संभालने, समझने, ...