एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा,
आँख हैरान है क्या शख्स जमाने से उठा।
- परवीन शाकिर
लोक गीत भारत की सांस्कृतिक संरचना का अभिन्न अंग हैं। ...
गमगीन है बहुत जमाना जिसके लिए
वो शख़्स तो तस्वीर में मुस्करा रहा है
कुछ लोग ज़िन्दगी में बगैर बुलाये अपने आप आ जाते हैं और फिर सारी उम्र कभी पीछा नहीं छोड़ते। स्वयं यदि चले भ...
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। / तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल ।।
अर्थात-जिस रक्षसूत्र से महान शक्तिशाली दानवेंद्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा से मैं तुम्हे बांधता हूँ जो...
भारतीय समाज में अंतरजातीय विवाह कोई नई बात नहीं है। यह हमेशा से होता आ रहा है और आगे भी होता रहेगा। लेकिन अब इसे लेकर सोशल मीडिया पर जो हाय तौबा मचती है, वह बिल्कुल नया और चौंकाने वाला अनुभव है। सो...
प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक एवं लेखक मैकियावेली ने अपनी पुस्तक द प्रिंस में लिखा है कि, सही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गलत साधन अपनाना उचित है, दूसरे शब्दों में, यदि लक्ष्य नैतिकता और नैतिकता की दृ...
परीक्षाएं चल रहीं हैं। यह एक ऐसा समय है जहाँ बच्चे के साथ-साथ उसके माता-पिता भी तनाव में आ जाते हैं। तनाव ‘परिणाम’ का है। दसवीं-बारहवीं की परीक्षाओं का तो हमने हौआ ही बना रखा है लेकिन छोटी कक्षाओं ...
यह प्रकृति हरदम रंगों से रंगीन होती है। इसमें धूप का सफेद एवं चमकीला रंग होता है, बरसात का हरा और मटमैला रंग होता है, सर्दियों का धुआं-धुआं सा सलेटी रंग होता है। हर मौसम में ऋतु के अपने रंग होते है...
जाति न पूछो साधु की पूछि लीजिए ज्ञान / मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।
भारत को इसीलिए अनेक महापुरुषों ने देवों की धरती कहा है क्योंकि यहाँ पर संस्कृति व सभ्यता पीढ़ी दर पीढ...
“मानव का इंसान बने रहना जब कठिन प्रक्रियाओं का मंजर बन जाएगा तो सामाजिक उत्थान के लिए निमित्त बनी मर्यादाओं का उल्लंघन होना कोई असामान्य घटना नहीं होगी। सामाजिक सरोकारों के मध्य बदला लेने की नकारात...
एक समय था कि लोग छत पर लेटे हुए सितारे गिनते गिनते किसी की याद में रात बिता देते थे। मोबाइल, टेलीफोन तो थे नहीं कि उसके सहारे पूरी रात बिता दी जाए। लिहाजा तारे ही गिनने में लोग बाग मशग़ूल रहते थे। ...