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जयतु संस्कृतम्
उद्बोधनपञ्चकम्
बागपतम्
चत्वारो निहता: प्रभातसमये दैत्या बलात्कारिण:
तप्तं मे हृदयं निशम्य वचनं जातं प्रशीतं द्रुतम्।
अन्ये ये निवसन्ति केचिदपरे काराश्र...
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जयतु संस्कृतम्
1.
नमश्शारदायै
अयि चतुराननवक्त्रसरोरुहकाननवासिनि हंसरुचे
अयि शरदभ्रसुधाकरकान्तिसहस्रसमुच्चयगात्रवरे।
श्रुतिरससिक्तधरामलते पवनाहतवल्लकिनादरते
जय जय हे गगनांगनचारिणि मानसभावविकारहरे।...
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जयतु संस्कृतम्
पुस्तकपरिचयम्
गीतिम्भरा : नवगीतों का अनुपम संग्रह
प्रेम शंकर शर्मा की गणना उन कवियों में होती है जो निरन्तर मौन सहित्य साधना में अधिक रुचि रखते हैं और अवसर के अनुरुप रचना करने मे...
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जयतु संस्कृतम्
परिदेवना
न कथयामि किमपि
न परिदेवना
नैव व्याघात:।
न जानामि
त्वं आगतवान न वा!
किन्तु यदा
पुष्पेषु पतंङ्गा:
पुनश्चपुन :कथयति
किमपि
तदा श्रृणोम्यहम्
सा परिदेवना।
मध्यान्हे
सूर्यकिरणानि...
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जयतु संस्कृतम्
पानीयम्
सखे!परितो ज्वलद्ग्रामं विशीर्णं पश्य पानीयम्!
तृषादग्धे निशीथे द्वारि तिष्ठति कस्य पानीयम्!!
नभो नीलं प्रयच्छति कदा कस्मै किमपि लोकेsस्मिन्,
जनानां द्रवच्चीत्कारं प्रत...
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जयतु संस्कृतम्
प्रस्थाय संस्थिता पुनः
संस्थाय प्रस्थिता।
नक्तन्दिवापि प्रत्यहं
यात्रा नवा कृता।। 1।।
एकैकमेव सर्वदा
मार्गे पदं धृतम्।
श्रान्ता कदापि नैव
सदैवोर्जितार्जिता।। 2।।
रुद्धा यदा पथि...
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जयतु संस्कृतम्
पुस्तकपरिचयम् -
समकालीन संस्कृत कविता की तरफ बढ़ते कदम: आधुनिक संस्कृत काव्यसंचय
वैदिक काल से लेकर आज तक जिस संस्कृत वाङ्मय की पताका संपूर्ण विश्व में फहरा रही हैं उसी को आगे लाने क...
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जयतु संस्कृतम्
दूतश्च को भविता
श्रावणस्य प्रथमं दिनं
कालिदासस्य यक्षः
आषाढे तु का कथा
श्रावणेऽपि चातकायते
मेघदर्शनं विना।
कुतो भवेत् सफला याचना ?
अद्य वृथाऽऽस्ते प्रार्थन...
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जयतु संस्कृतम्
संस्कृतं किमर्थम् आवश्यकम्? केन वा सरल-प्रकारेण एतत् शिक्षितुं शक्यते?
संस्कृत-विषये कश्चन मां पृच्छति यत् किमर्थं संस्कृतम् आवश्यकम्? अथवा साम्प्रतम् ...
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जयतु संस्कृतम्
राष्ट्राष्टकम्
येऽनर्गलं सततमत्र वदन्ति वाक्यं
ये जातिधर्मविषदा विलिखन्त्यहृद्यम्।
ते नैव सन्तु सुहृदो मम मित्रयोग्या:
काव्यप्रियास्तु विलसन्तु सुमित्रसूच्याम्। 1
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