ख़बरनामा
शैलेन्द्र की कविताओं में जीवन के सभी पक्षों का गहन शोध मिलता है- डॉ. भाटी
जोधपुर, रविवार 23 फरवरी 2020
कॉमरेड अशरफ़ फ़ौजदार स्वतंत्रता सेनानी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित कॉमरेड अशरफ़ फौजदार की याद में एक कार्यक्रम ‘शैलेन्द्र ढड्ढा का रचना संसार: एक पाठ’ शनिवार दिनांक 22 फरवरी को डॉ. मदन डागा साहित्य भवन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध कहानीकार और चिंतक हरी प्रकाश राठी और अध्यक्ष बिहारी पुरस्कार से सम्मानित शहर की पहचान डॉ. आईदानसिंह भाटी ने प्रारम्भ में सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया।
शैलेन्द्र ने पहले अपनी व्यंग्य रचना ‘प्यार को प्यार ही रहने दो’, लघु कथा ‘पेड़ और आदमी’, आलेख ‘साइंस एंड स्पिरिचुअल्टी’ और पुस्तक अंशों का पाठ किया। तत्पश्चात अनेक कविताओं का वाचन किया, जिनमें ‘कवि कौन?’, ‘कविता का सत्य’, ‘सतयुग आयेगा’, ‘अपना दर्द’, ‘सीधा सादा आदमी’ मुख्य हैं। मुख्य अतिथि हरिप्रकाश राठी ने कहा कि शैलेंद्र का चिंतन बहुआयामी है। आपकी कई कविताएँ बेहद सुंदर हैं। आप एक अच्छे कॉलम राइटर हो सकते हैं। आप के गद्य में भी बड़ी गहनता है। अध्यक्ष डॉ. आईदान सिंह भाटी ने शैलेंद्र की कविताओं के चुनाव की प्रशंसा करते हुए कविता में विचार के महत्व को प्रतिपादित किया। कार्यक्रम में शहर के अनेक गणमान्य साहित्यकार और रंगकर्मी उपस्थित थे यथा डॉ. हरिदास व्यास, डॉ. फतेह सिंह भाटी, डॉ. पद्मजा शर्मा, रेणु वर्मा, नीना छिब्बर, रेणुका श्रीवास्तव, मनोहरसिंह राठौर, श्याम गुप्ता शांत, कल्याण विश्नोई, डॉ. निसार राही, दशरथ सोलंकी, कमलेश तिवारी, प्रमोद वैष्णव, नवीन पंछी, पूर्ण दत्त जोशी, नफ़ासत अली, रजा मोहम्मद, इशराकुल इस्लाम माहिर, नितेश व्यास, फ़ानी जोधपुरी, रतन सिंह चंपावत, कौशल्या अग्रवाल, नकुल दवे।
प्रारम्भ में शाइर अशफ़ाक अहमद फ़ौजदार ने अपने मरहूम वालिद कॉमरेड अशरफ़ फ़ौजदार के संस्मरण सुनाये। अंत में कमलेश तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन युवा कवि, चिंतक और रेडियो उदघोषक चन्द्रभान विश्नोई द्वारा किया गया।
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रेनू शब्दमुखर ‘विद्वत सम्मान’ से विभूषित
दिनांक 20 फरवरी। जयपुर।
हिंदी प्रचार-प्रसार संस्थान द्वारा आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में संस्थान के अध्यक्ष अखिल शुक्ला, कुलसचिव अविनाश शर्मा सिक्किम के राज्यपाल एस. एन. भार्गव, कुलपति प्रो. एम. एल. छीपा के द्वारा संपर्क संस्थान की प्रदेश समन्वयक रेनू शब्दमुखर को ‘विद्वत सम्मान’ से विभूषित किया। उन्हें सम्मान स्वरूप माला, शॉल व एक तस्वीर भेंट की गयी।
हाल ही में नेपाल से एशिया कोंटिनेन्ट अवार्ड प्राप्त करने पर सभी ने उनका हार्दिक स्वागत किया। ज्ञानविहार स्कूल की हिंदी की विभागाध्यक्ष रेनू को ये सम्मान साहित्य और शिक्षा के प्रति समर्पण व सामाजिक सरोकारों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदान किया गया है। संपर्क संस्थान, पालनहार फाउंडेशन, लेखिका साहित्य संस्थान, ज्ञानविहार स्कूल सहित सभी परिवार व मिलने वालों ने हर्ष व्यक्त करते हुए अपनी शुभकामनाएँ व्यक्त कीं।
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सम्पर्क नारी कर्मश्री सम्मान पाकर चेहरे खिले
जयपुर। सामाजिक व साहित्यिक क्षेत्र में अग्रणी सम्पर्क संस्थान द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सामाजिक, साहित्यिक व अन्य क्षेत्र में प्रतिभाशाली 71 महिलाओं का सम्मान समारोह पूर्वक किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व अध्यक्ष राष्ट्रीय महिला आयोग ममता शर्मा, कार्यक्रम अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ. अल्का सिंह गुर्जर, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुनीता मीणा, संपर्क संस्थान अध्यक्ष अनिल लढ़ा,
समन्वयक रेनू शब्दमुखर, कार्यक्रम संयोजक मीनाक्षी मेनन ने सभी महिलाओं को माला पहनाकर व नारी कर्मश्री सम्मान से सम्मानित किया।
इस अवसर पर नारी सशक्तिकरण कार्यशाला पर सुनीता मीणा ने कहा कि महिलाओं को मजबूत व जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज़ में महिलाओं को अपनी प्रतिभा को पहचानने व उसके बाद अपना कर्म करने को कहते हुए कहा कि हेल्प के लिए मत चिल्लाओ 112 डायल करो, जयपुर पुलिस हमेशा मदद को तत्पर है। साथ ही सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाए व नारी हर हाल में अपने बचाव के लिए अलर्ट रहे, सिखाया।
अनिल लढ़ा ने अपने वक्तव्य में सम्पर्क संस्थान की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि संपर्क का ही मतलब लोगों से मिलना व उनको साथ लेकर विकास करना है। मुख्य अतिथि ममता शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें खुद को ही आगे बढ़ने का प्रयास करना होगा। महिलाएं सशक्त होंगी तो वे सशक्त समाज का निर्माण कर पाएंगी। अध्यक्ष डॉ. अलका गुर्जर ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज साक्षरता तो बहुत तरक्की कर रही है लेकिन संस्कार दमित हो रहे आजकल पढ़े-लिखा युवावर्ग नमस्ते बोलने में संकोच करता है संस्कारो का पुन: पल्लवन केवल औरत ही कर सकती है। साथ ही उन्होंने सरकार की महिला सशक्तिकरण के लिए चलने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सब को जागरूक करने की जरूरत बताया।
संपर्क की प्रदेश समन्वयक रेनू शब्द मुखर ने संस्था द्वारा महिलाओं को आगे लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। कार्यक्रम संयोजक मीनाक्षी मेनन ने कायर्क्रम की रूपरेखा बताई। दिलीप जाजु ने आभार व्यक्त किया। मंच संचालन डॉ. रेनू श्रीवास्तव व विजय लक्ष्मी जांगिड़ ने किया। नारी कर्मश्री सम्मान पाने वाली महिलाओं में अमला बत्रा, रेनू शब्दमुखर, जयश्री जी, उषा रस्तोगी, मीनू गुप्ता, ज्योत्स्ना, हिमाद्रि, प्रभा जाजु, सीमा, भाग्यम शर्मा, ज्योति पारीक, उषा जैन, ममता वर्मा, सोनिया शर्मा, निशा जैन, सारिका, मधुमिता, लता सुरेश, लता, विजया, रेनू श्रीवास्तव, गंगोत्री चौहान, शोभा गोयल व रश्मि पारीक, सुषमा शर्मा, हेमा, महिमा शर्मा, नीलिमा कालरा, शशि, संगीता व ज्ञानवती सक्सेना, पूनम सेठी, समृद्धि, ममता वर्मा, शिल्पी, मोनिका जैन, कुमुद आदि 71 महिलाएं थी।
इसी मौके पर निर्णायक अविनाश शर्मा ने सम्पर्क संस्थान के तत्वावधान में स्व. रमेश वर्मा पुरस्कार प्रतियोगिता-2020 ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में साहित्यकारों का दायित्व’ जो पूरे देश के लिए आयोजित की गई थी, उसका परिणाम भी बताया।
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डॉ. श्रीमती मृणालिका ओझा को ‘महिला शिखर सम्मान’
वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन छत्तीसगढ़, सर्व युवा ब्राह्मण परिषद एवं विप्र वार्ता पत्रिका परिवार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. श्रीमती मृणालिका ओझा सहित प्रदेश भर की विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वाली 30 से ज्यादा महिलाओं को महिला शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया।
उक्त कार्यक्रम रायपुर स्थित वृन्दावन सभागार में दिनांक 15 मार्च 2020 को सम्पन्न हुआ, जिसमें फाग गीत तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये। इस गरिमामय कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों यथा रायपुर, भाटापारा, कसडोल, भिलाई, कोरबा, जगदलपुर, बलौदाबाजार आदि शहरों की विभिन्न क्षेत्रों साहित्य, शिक्षा, चिकित्सा, संस्कृति, समाज सेवा आदि में अग्रणी ऐसी 30 से ज्यादा महिलाओं को महिला शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया।
रायपुर की डॉ. श्रीमती मृणालिका ओझा, जिन्होंने चालिस से भी अधिक वर्षो तक शैक्षणिक क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए साहित्य के क्षेत्र में भी विशिष्ट पहचान बनाई; को भी महिला शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। इन्हें इसके पूर्व गुजरात एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों द्वारा गुजरात सरकार का ‘सर्टिफिकेट ओफ एक्सीलेंस’, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता सेवा सम्मान आदि से भी सम्मानित किया गया है।
ज्ञातव्य है कि ‘छत्तीसगढ़ की लोककथाओं’ पर सर्वप्रथम शोध कार्य डाॅ. श्रीमती मृणालिका ओझा द्वारा ही किया गया है। इनकी अब तक नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, साथ ही 90 से ज्यादा पुस्तकों की आपने समीक्षा भी की है।
उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती ज्योत्सना सिंह जी, माननीय सांसद, कोरबा, मुख्य अतिथि श्रीमती रश्मि सिंह ठाकुर जी, माननीय विधायक, तखतपुर, विशेष अतिथि श्रीमती अमिता सिंह, माननीय विधायक, बैतुलपुर, श्रीमती राजश्री मिश्रा जी, पुलिस अधीक्षक, माना एवं श्रीमती जया सिंह जूदेव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नमो नारायणी महिला मोर्चा थे।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती नमिता शर्मा एवं आभार वक्तव्य वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन के अध्यक्ष श्री अरविन्द ओझा जी द्वारा किया गया।
(सौजन्य: राजेन्द्र ओझा)
‘समकालीन ग़ज़ल और विनय मिश्र’ पुस्तक का लोकार्पण
विनय मिश्र की ग़ज़लों में सामाजिकता का संदर्भ ऐतिहासिक नवीनता की परिधि तक है। वे अपनी ग़ज़लों में एक बेहतर दुनिया, एक बेहतर समाज के लिए जूझते हुए दिखते हैं और वे किसी भी कीमत पर आज के समय को मनुष्यता के अनुकूल करना चाहते हैं, विनय परंपरावादी नहीं, परंपरा शोधी कवि हैं। ‘समकालीन गजल और विनय मिश्र’ पुस्तक के लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि आलोचक श्रीधर मिश्र ने यह वक्तव्य दिया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में वक्तव्य देते हुए जामिया मिलिया वि.वि., नई दिल्ली से आए युवा कवि आलोचक डॉ. रहमान मुस्व्विर ने कहा कि हिंदी ग़ज़ल अपने सरोकारों और अपनी भाषा की ख़ुशबू के साथ अपनी उपस्थिति को मजबूती से दर्ज़ करा रही है और विनय मिश्र की ग़ज़लें अपने परिदृश्य और यथार्थ बोध को पूरे आबो-ताब के साथ कहती हैं इसीलिए वे हिंदी कविता परंपरा में लिखी जा रही ग़ज़लों के एक प्रतिनिधि कवि हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में इलाहाबाद से पधारे युवा जनधर्मी आलोचक डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि लोकप्रियता और साहित्यिकता में छायावाद के बाद एक सतही और कृत्रिम विभाजन होता गया है जिसके कारण जनसंवादी और जनप्रिय विधा होते हुए भी ग़ज़ल गीत दोहा आदि छांदस विधाओं को लोकप्रिय कविता कहकर खारिज करने कोशिश की गई है, जबकि इन्हीं विधाओं ने जनता और कविता के बीच एक पुल बनाते हुए कविता की पहचान बचाने की और उसे लोक में सुरक्षित रखने की ज़रूरी पहल की है। विनय मिश्र ने अपनी ग़ज़लों को हिंदी कविता के मुहावरे में ढाला है ,उनकी ग़ज़लों में न तो कोई क्रांतिकारी आक्रामकता है और न ही कोई रूमानी मुलायमियत है, वे इन दोनों अतियों से बचकर जीवन सत्य को उद्घाटित करने वाले कवि हैं, रचनाकार हैं।
इस पुस्तक के संपादक और युवा आलोचक डॉ लवलेश दत्त ने इस किताब की रचना प्रक्रिया मे आई कठिनाइयों और हिंदी ग़ज़ल की प्रासंगिक चुनौतियों का उल्लेख किया और कहा कि विनय मिश्र ने अपनी ग़ज़लों में समकालीन जीवन के विविध तनावों और द्वंद्वात्मक स्थितियों का जो संश्लिष्टत चित्रण किया है उसमें भारतीय लोकजीवन और सामाजिक विसंगतियों के अनेकानेक चित्र उपस्थित हैं। इस अवसर पर बरेली से पधारी किराना घराने की मशहूर गायिका डॉ. हितु मिश्रा ने विनय मिश्र की ग़ज़लों का गायन प्रस्तुत किया।
इस लोकार्पण समारोह के दूसरे सत्र यानी विमर्श सत्र के विषय प्रवर्तक प्रोफेसर जे पी व्यास ने कहा कि विनय मिश्र की ग़ज़लें अपने अतीत से संवाद करते हुए अपने वर्तमान को रेखांकित करती हैं। उनकी ग़ज़लों में उम्मीदों ,हौसलों और आशाओं की एक भरी पूरी दुनिया है जो मनुष्यता की रक्षा के लिए अपने तरीके से अपने समय से मुठभेड़ करती है।
इस अवसर पर विनय मिश्र ने हिंदी कविता परंपरा में ग़ज़ल पर अपनी बात रखते हुए अपनी ग़ज़लों का पाठ किया। इस अवसर पर देश भर से आए हुए रचनाकर्मी और शहर के वरिष्ठ एवं युवा कवि लेखक समाजकर्मी और रंगकर्मी उपस्थित रहे जिनमें जिला न्यायाधीश सतीश चंद्र कौशिक, देशराज मीणा, दौलत वैद, इंद्रकुमार तोलानी, हरिशंकर गोयल, कृष्ण कुमार खंडेलवाल, प्रोफेसर अनूप सिंह नादान ,रेणुका अस्थाना, डॉ अंशु वाजपेयी,डॉ रमेशचंद खंडूरी ,डॉ अनीता तिवारी ,दिलीप मिश्रा ,श्रीमती राज गुप्ता, डॉक्टर कमलाबाई यादव , प्रोफेसर सियाराम मीणा , शम्मी सेतिया, सरिता भारत , ललित धानावत , हेमराज हंस , संजीव नधेड़िया ,प्रो. विक्रम बारेठ, रेनू मिश्रा, कैप्टन के एल सिरोही , संदीप अवस्थी, भगवान सहाय गुप्ता , पुरुषोत्तम शर्मा एवं अन्य शताधिक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। हिंदी कविता और ग़ज़ल पर पुस्तक लोकार्पण और चर्चा विमर्श के इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सृजक संस्थान की अध्यक्ष डॉ अंजना अनिल ने की । कार्यक्रम का सफल संचालन रामचरण राग और धन्यवाद ज्ञापन डॉ रमेश चंद खंडूरी ने किया। कार्यक्रम के समापन पर सभी आमंत्रित अतिथियों को शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
– टीम हस्ताक्षर