ख़बरनामा
शब्दों के संसार मे रंग जमाया देश की ख्यातिनाम कवयित्रियों ने
*रेनू शर्मा के साझा और एकल काव्य संकलन का विमोचन*
*साहित्य कर्म श्री अवार्ड से नवाजा रेनू शर्मा को*
जयपुर
न्यायमूर्ति विनोद शंकर दवे ने साहित्य और काव्य को वर्तमान परिवेश की सबसे बड़ी जरूरत बताते हुए कहा है कि समाज के सामने नई पीढ़ी को पुस्तकों से जोड़ना अब सबसे बड़ी चुनौती है। श्री दवे सामाजिक व साहित्यिक क्षेत्र में अग्रणी सम्पर्क संस्थान के तत्वाधान में युवा कवयित्री रेनू शर्मा शब्द मुखर द्वारा सम्पादित देश विदेश की 51कवयित्रियो के साझा काव्य संग्रह ‘ तेरे मेरे शब्द..’व एकल काव्य-संग्रह ‘अनकहे शब्द ‘ के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने शब्दों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए देश भर की कवयित्रियों के संग्रह को अनूठा और महत्वपूर्ण बताते हुए इसे भारत दर्शन की उपाधि दी।
न्यायमूर्ति ने सम्पर्क संस्थान के सामाजिक कार्यो की जमकर तारीफ करते हुए जयपुर में काव्य संकलन के जरिए महासंगम करवाने पर रेनू शर्मा के साहित्यिक जगत में भविष्य को उज्ज्वल बताया।
इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति विनोद शंकर दवे, अध्यक्षता मोटिवेशनल स्पीकर व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मनोज शर्मा,विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कवि संजय शुक्ला,वरिष्ठ साहित्यकार व समीक्षक नरेंद्र शर्मा ‘कुसुम’राष्ट्रीय ओज कवयित्री वीणा शर्मा सागर,ifwj के प्रदेशाध्यक्ष उपेन्द्र राठौड़ सम्पर्क संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा, महासचिव विमल चौहान तथा रेनू शर्मा ने विमोचन किया। अतिथियों ने सरस्वती मां के छायाचित्र की पूजा व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंम्भ किया।
आयोजन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के देवलोकगमन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी।
इस दौरान पूरा आयोजन सादगी पूर्वक रखा गया। संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने संम्पर्क संस्थान का परिचय देते हुए सेव बेटी से सेफ बेटी के सिद्धांत पर कार्य करने तथा साहित्य क्षेत्र में संपर्क के द्वारा हमेशा आगे बढ़ने को आश्वस्त किया। कवयित्री रेनू शर्मा ने बताया कि देश-विदेश की 51 कवयित्रियों को मात्र 51 दिन में उन्होंने जयपुर में एक जाजम पर इकट्ठा कर सामाजिक समन्वयता का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
उन्होंने बताया कि इस काव्य संग्रह में 51 कवयित्रियों की बानगी है तथा ये कविताएं समय के अनेक रंग रूप और स्वभाव को रेखांकित करती हैं।
इस अवसर पर दूर दराज से आए सभी कवयित्रियों को उनके उत्कृष्ट लेखन व साहित्य सेवा के लिए ‘काव्य सम्पर्क सम्मान’ से विभूषित किया गया। कार्यक्रम का समा कोटा के राष्ट्रीय ओज कवि संजय शुक्ला व ब्यावर से आई राष्ट्रीय कवयित्री वीणा शर्मा ‘सागर’ ने बांध दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष मनोज शर्मा ने हास परिहास के बीच अपने अनूठे अंदाज में कहा कि कविता के माध्यम से ही हम शब्दों का संसार रच सकते हैं। कविता लेखन कर हम लोग स्फूर्ति से काम कर सकते हैं। कविताएं हमारी संस्कृति में रची और बसी होती है। उन्होंने जीवन को खुल के जीने की सलाह देते हुए जमकर मस्ती की। मंच संचालन कवयित्री विजय लक्ष्मी जांगिड़ ने किया।
*’काव्य गोष्ठी में छाया भारत दर्शन ‘*
द्वितीय सेशन में स्पंदन साहित्यिक संस्था की अध्यक्ष नीलिमा टिक्कू,राजस्थान लेखिका साहित्य संस्थान की अध्यक्ष डॉ जयश्री शर्मा,ओज कवयित्री वीना शर्मा ‘सागर’, दिल्ली से आए ओज कवि संजय शुक्ला, आदरणीय बनज जी ,डॉ ० लता सुरेश व संगीता राज के सानिध्य में सभी दूर दराज से आई कवयित्रियों का काव्य पाठ भी सम्पन्न हुआ। 2 घण्टे के इस गरिमामय आयोजन के दौरान *तेरे मेरे शब्द* में चयनित 51 कवियत्रियों ने अपनी अपनी श्रेष्ठ रचना सुनाई।
*रेनू शर्मा को साहित्य कर्म श्री अवार्ड ‘*
शब्द मुखर है सहित अनेक काव्य संकलन में देश-विदेश की अनेक ख्यातनाम और नवोदित कवयित्रियो को एक जाजम पर लाकर अनूठा कार्य करने वाली शिक्षा सेवा और साहित्य की त्रिवेणी कवयित्री रेनू शर्मा का अभिनंदन किया गया। राजस्थान वर्किंग फेडरेशन, सम्पर्क संस्थान और हिन्दी प्रचार प्रसार संस्थान द्वारा घोषित इस अवार्ड के तहत अतिथियों ने रेनू शर्मा को 21 हजार रुपये का चेक, प्रशस्ति पत्र और शॉल पहनाकर सम्मानित किया।
– सुरेन बिश्नोई