छन्द संसार
विभिन्न मात्रिक छन्द
विजात (1222 1222)
प्रभू में आस तुम रखना
उन्हीं को ख़ास तुम रखना
प्रभू सबसे दयालू हैं
बड़े ही वे कृपालू हैं
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मधुमालती (2212 2212)
जाने उठी कैसी लहर
चारों तरफ फैला कहर
ढूंढें सभी खोया अमन
उजड़ा यहाँ खिलता चमन
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मनोरम (2122 2122)
रात रानी सो रही है
नींद में अब खो रही है
तुम इसे यूँ मत जगाओ
नींद से अब मत उठाओ
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शक्ति (122 122 122 12)
बड़ा ही कठिन ज़िन्दगी का सफ़र
अनोखी बड़ी ज़िन्दगी की डगर
फिसलकर गिरोगे कभी भी इधर
क़दम तुम बढ़ाना ज़रा सोच कर
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आनंदवर्धक (2122 2122 212)
शारदे का ज्ञान पाना आ गया
लेखनी को है चलाना आ गया
छन्द, मुक्तक नाम लगते थे अजब
मातु ने मुमकिन किया है आज सब
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शास्त्र (1222 1222 1221)
जपे जा हर घड़ी तू राम का नाम
बनेंगे देख फिर कैसे रुके काम
करेंगे राम तेरी नाव को पार
बना ले बस प्रभू को आज आधार
– डॉ. सोनिया गुप्ता