जयतु संस्कृतम्
वर्षागीतम्
मित्र!अम्बरे विभाति सा विहारिका
प्रिया सुवृष्टिःसाधिका सदा ।
मन्द मन्द गर्जनेन
मेघ खण्ड वर्षणेन
मोहयन्ती सा मनोहरा विलासिता
प्रिया सुवृष्टिःसाधिका सदा।।1।।
मानवेषु बालकेषु
पक्षिणावृतावनेषु
सन्ति तोयतुष्टसाधका पदे पदे
प्रिया सुवृष्टिः साधिका सदा।।2।।
आतपं धरा जहाति
मुक्तसागरो विभाति
वर्धयन्ती याति लोकरञ्जिका मुदा
प्रिया सुवृष्टिः साधिका सदा।।3।।
– सचिन कुमार त्रिपाठी