विशेष
बच्चों के सृजनात्मक विकास के लिए किलकारी, बिहार बाल भवन की स्थापना वर्ष 2008 में की गई। इसका निबंधन सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 21, 1860 के तहत शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा किया गया। जुलाई 2008 से किलकारी की निदेशक श्रीमती ज्योति परिहार ने कार्यभार संभाला और चल पड़ी किलकारी एक्सप्रेस।
किलकारी बच्चों की सृजनशीलता को उभारने का प्रयास करती है। यह 09 से 16 वर्ष तक के बच्चों को सीखने के लिए स्वस्थ, तनाव रहित एवं आनंददायी वातावरण प्रदान करती है।
सृजनात्मक लेखन विधा में बच्चों द्वारा कहानी, कविता, हाइकु, ताका, निबंध आदि की रचनाएँ की जाती हैं। प्रशिक्षण के दौरान बच्चों द्वारा रचित हाइकु आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है। ये सभी बच्चे किलकारी बिहार बाल भवन के सृजनात्मक लेखन विधा से जुड़े हुए हैं।
कलम ही है
हथियार हमारा
इसे न छोड़ो
कोमल मिट्टी
हर रूप है लेती
उसका गुण
सम्मान करूँ
अपने बड़ों का मैं
पाऊँगा प्यार
किताब मेरी
सुनहरे रंग की
मैं तो पढूँगा
कोरा कागज
और कलम मेरी
हैं जिन्दगानी
सब, दुख तो
है जीवन के अंग
लड़ेंगे संग
ज़म़ी के रंग
उतारेंगे अपने
दिल में हम
– रौशन पाठक
संत कोलम्बस स्कूल
कक्षा- 9
आयु- 15 वर्ष
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काँटों के पार
देखोगे तो मंजिल
नज़र आती
हँसी हमेशा
रखो इन होठों पे
फूलों-सा तुम
कोई कविता
मन में बस जाती
है होती ऐसी
शरारतें तो
आखिर करेंगे ही
हम हैं बच्चे
चाँद उजला
कौनसी क्रीम ज़रा
है वो लगाये
जीवन बोने
वाला मुरझा गया
तरूवर वो
प्रभु को ढूँढ़ा
मैं जहाँ-जहाँ पर
मुझे माँ दिखी
बनाया घर
पर खुद को घर
नसीब नहीं
– अभिनंदन गोपाल
संत जेवियर्स स्कूल
कक्षा- 8
आयु- 14 वर्ष
(सौजन्य- विभा रानी श्रीवास्तव)
– टीम हस्ताक्षर