हायकु
प्रेम का पथ
देखी रोटी से जंग
विविध रंग ।
अर्थ प्रधान
यह दुनिया मान
सस्ती है जान ।
मलयानिल
मंद मंद बयार
देती दुलार ।
मेघ बरसे
यच्छ यच्छिणी दोनों
भीगे हरषे ।
विश्वास अंधा
किसी पर न करो
टूटेगा कंधा ।
प्रीति की रीति
निभाना है जरूरी
यही है नीति ।
यादों के साए
भुलाए न भूलते
साथ घूमते ।
बरखा आए
मन को हरसाये
प्रीति बढ़ाये ।
आकाश छू लो
लेकिन याद रखो
भू को न भूलो ।
प्रात: मुस्काई
झूमती अमराई
खुशबू छाई ।
हुआ सबेरा
अंधेरे की विदाई
खिला चेहरा ।
– कैलाश बाजपेयी