हायकु
‘माँ’ पर कुछ हायकु
ममता मूर्ति
सभी को सँवारती
दाह दिखाती
उर्जा जगाती
वात्सल्य प्रेममूर्ति
कष्ट छुपाति
बिना तुम्हारे
अस्तित्व नही मेरा
करो उद्धार
हे महतारी!
तुम मेरा सहारा
मेरा किनारा
तुम करूणा
पूप स्वरूप दिया
तुम चट्टान
त्याग की मूर्ति
गतिशील रहती
सदा हँसती
माँ के समान
जगत मे न कोई
पीड़ा सहती
माँ मैं बनूँ
तुम्हारी हर पीड़ा
टीस की दवा
माँ के बिना
हमेशा सूना-सूना
मन आँगन
माँ का अंक
है निज सिंहासन
अमृत पान
– डॉ. अम्बुजा मलखेडकर