महिला सशक्तिकरण
हर साल हम 8 मार्च को विश्व की प्रत्येक महिला के सम्मान में ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाते हैं लेकिन महिला दिवस मनाये जाने का इतिहास हर कोई नहीं जानता।
संस्कृत में एक श्लोक है —–“यस्य नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:”अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं लेकिन वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं उसमें नारी का हर जगह अपमान होता है। नारी को भोग की वस्तु समझकर आदमी अपने तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। देश और समाज में हो रही अभद्रता से महिलाओं को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। हम आये दिन अखबारों में, न्यूज चैनलों में पढ़ते और देखते रहते हैं कि महिला के साथ छेड़छाड़ हुई, सामुहिक बलात्कार किया गया इसे नैतिक पतन ही कहा जाएगा। शायद ही कोई दिन जाता हो जब महिलाओं के साथ अभद्रता न होती हो!
बदलते समय के हिसाब से आज की युवा लड़कियों के पहनावे को तुच्छ दृष्टि से देखा जाता है और उनकी परवरिश पर सवाल उठायें जाते हैं जिससे आये दिन लड़कियों के माता-पिता, बेटियों को ही भला-बुरा कह डालते हैं।
शादी के बाद महिलाओं पर और भी भारी जिम्मेदारी आ जाती है। पति, सास, ससुर, देवर, ननद की सेवा के पश्चात अपने लिए समय ही नहीं बचता सारा दिन काम में निकल जाता है घर परिवार की खातिर उन्हें अपने अरमानों का गला घोंटना पड़ता है। महिलाओं को छोटी-छोटी चीज के लिए भी पति की इजाजत लेनी पड़ती है। यदि कोई महिला नौकरी करती है तो शादी के बाद ससुराल वाले ही निर्णय लेते हैं कि उनकी बहू नौकरी करेगी या नहीं। इस तरह के तमाम उदाहरण हैं जो समाज में महिलाओं के प्रति जागरूक नहीं है।
लेकिन अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए नारी का सम्मान करना भी आवश्यक है। हमें अपने बेटों को नारी के प्रति आदर भाव रखना सिखाना ही होगा। साथ ही उन्हें भी बेटियों जैसे संस्कार देने होंगे।
इक्कीसवीं सदी की स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और काफ़ी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख लिया है। आज के समय में स्त्रियों ने सिद्ध किया है कि वे एक-दूसरे की दुश्मन नहीं, सहयोगी हैं।
महिलाओं को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। महिला दिवस अब लगभग सभी विकसित, विकासशील देशों में मनाया जाता है। यह दिन उन महिलाओं को याद करने का दिन है जिन्होंने अपनी प्रतिभा एवं क्षमता से सामाजिक,राजनैतिक तथा आर्थिक अधिकारों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति सजग बने रहने के लिए अथक प्रयास किया है।
महिला सशक्तिकरण के इस युग में महिलाओं के लिए सरकार भी प्रयासरत है। महिला आरक्षण भी इसी प्रयास का एक भाग है। महिलाओं ने कई दिशाओं में कदम उठायें हैं। लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा तथा सभी संस्था, संगठनों में अपनी अहम् भूमिका निभा रही हैं। आज की नारी आर्थिक जगत में भी पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। उसने हर क्षेत्र में विज्ञान, तकनीकी, उद्योग, व्यवसाय, शिक्षा, न्याय, खेल, कृषि इत्यादि,सभी जगहों पर अपना वर्चस्व स्थापित किया है।
देश में महिला सशक्तिकरण के लिए “राष्ट्रीय महिला उत्थान नीति” बनाई गई है। वैश्विक स्तर पर नारीवाद आंदोलनों और यू एन डी पी आदि अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाओं के सामाजिक समता, स्वतंत्रता, न्याय के राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
अगर समाज में जागरूकता आएगी तो निश्चित तौर पर हमारा देश विकसित देशों में गिना जाएगा। महिलाओं के प्रति आदर का भाव तो हर पुरूष में होना ही चाहिए।
– रंजना झा