ख़बरनामा
महाराष्ट्र के पाठ्यक्रम में शामिल हुई पवन चौहान की बाल कहानी
हिमाचल प्रदेश के ज़िला मण्डी के महादेव गाॅंव के युवा साहित्यकार पवन चौहान की बाल कहानी ‘अलग अंदाज़ में होली’ को महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिती व अभ्यास क्रम संशोधन मंडल, पुणे ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। उनकी इस कहानी को महाराष्ट्र राज्य के सातवीं कक्षा के विद्यार्थी ‘सुगम भारती’ हिन्दी की पाठ्यपुस्तक में इस सत्र से पढ़ रहे हैं। यह बाल कहानी नन्हे बालकों की उस सकारात्मक सोच को दर्शाती है, जिन्हें हम बड़े भूल जाते हैं। यह बच्चे वृद्धाश्रम के उन बुजुर्गों के साथ होली का त्यौहार मनाते हैं, जिन्हे उनके अपनों ने भूला दिया होता है। उन बुजुर्गों को ये अनजान बच्चे वे खुशी दे जाते हैं जो उन्हे अपनों के साथ कभी मिली होगी।
गौरतलब है कि इससे पूर्व वर्ष 2015 से पवन चौहान की इस बाल कहानी को हिमाचल प्रदेश के स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया जा चुका है, जिसे कक्षा पांच के विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। उनकी एक बाल कहानी का उड़िया में भी अनुवाद हो चुका है।
इसके अलावा पवन चौहान का यात्रा संस्मरण महात्मा गांधी विश्वविद्यालय कोट्टयम, केरल के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। उनका यह संस्मरण किन्नर कैलाश की यात्रा से सबंधित है। इस बेहद कठिन, रोमांचक और धार्मिक यात्रा के उनके अनुभव को केरल के लगभग 400 से ज्यादा काॅलेज के बी काॅम के विद्यार्थी अपने हिन्दी के पाठ्यक्रम में इस वर्ष 2017 के नए सत्र से पढ़ रहे हैं।
पवन चौहान युवा कवि, कहानीकार, बाल साहित्यकार तथा फीचर लेखक के रुप में जाने जाते हैं। उनका नाम देश के अग्रणी युवा बाल कहानीकारों में शामिल हो चुका है। इनकी बाल कहानियाँ देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं। देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविता, कहानी, बाल कहानी और फीचर प्रकाशित होते रहते हैं। पवन चौहान का एक कविता संग्रह ‘किनारे की चट्टान’ भी 2015 में प्रकाशित हुआ था, जो काफी चर्चित रहा।
बाल पत्रिकाओं का संपादन
वर्ष 2016 में लखनऊ से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ‘दिव्यता’ और वेब पत्रिका ‘हस्ताक्षर’ के बाल साहित्य विशेषांकों में अतिथि संपादक के तौर पर कार्य किया। वर्तमान में पवन चौहान नैनीताल से प्रकाशित होने वाली त्रैमासिक पत्रिका ‘शैल सूत्र’ में बतौर बाल साहित्य संपादक (अवैतनिक) अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों के बाल कहानीकारों की पुस्तक के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की बाल कहानी का संपादन भी कर रहे हैं।
– सुरेन बिश्नोई