ख़बरनामा
ब्रजभाषा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी- 2018
राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर के तत्वावधान में कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, जयपुर के सहयोग से 1-2 सितम्बर, 2018 (शनिवार-रविवार)को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शुभ सम्पन्न हुई। संगोष्ठी का केन्द्रीय विषयः ब्रजभाषा साहित्य अरु संस्कृति कौ वैश्विक स्वरूप था। दो दिवसीय संगोष्ठी का सम्पूर्ण कार्यक्रम अकादमी संकुल सभागार में निष्पन्न हुआ।
संगोष्ठी में पधारे सभी आगन्तुकों का अभिन्नदन द्वारा अकादमी के मुख्य द्वार पर प्रवेश के समय वैदिक रीति अनुसार, तिलक व मोली बंधन के साथ ही वेद विद्यार्थियों द्वारा मंत्रोचारण से हुआ। उद्घाटन सत्र का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा माँ शारदे व श्रीकृष्ण की छवि पर पुष्प अर्पित व दीप प्रज्ज्वलित करते हुए शारदे वंदना तथा सत्र का संचालन कर रहे आयोजन प्रमुख विट्ठल पारीक द्वारा सरस ब्रज वंदना ‘जय जय ब्रज वसुधा महतारी……’ गायन से हुआ। अकादमी सचिव डॉ. जगदीश नारायण विजय ने स्वागत वक्तव्य में ब्रजभाषा अकादमी के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए सभी का स्वागत किया।
संगोष्ठी संयोजक डाॅ. शीताभ शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुये ब्रजभाषा की उदारता-मधुरताव ब्रज संस्कृति के औदात्य-वैशिष्ट्य को ब्रजभाषा के मधुर छन्द गायन द्वारा स्पष्ट किया।
उद्घाटन सत्र की बीज वक्ता बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पधारी प्रो. विद्योत्तमा मिश्रा ने केन्द्रीय विषय पर सारगर्वित वक्तव्य दिया। उन्होंने कृष्ण चरित्र को आधुनिक संदर्भों से जोड़ते हुए। ब्रज संस्कृति द्वारा हिन्दी साहित्य को प्रदत्त योगदान और उसकी विश्व व्यापकता को स्पष्ट किया।
विशिष्ट अतिथि क्रोएशिया देश से सम्मिलित हुए संत ज्ञानेश्वरपुरी ने हिन्दी में वक्तव्य देते हुए कृष्ण-भक्ति के माधुर्य और ब्रजभाषा के संरक्षण व सम्वर्द्धक हेतु उसे मीडिया व यू-ट्यूब इत्यादि से जोड़ने की बात कही।
इस सत्र में मुख्य अतिथि संस्कृत अकादमी की निदेशक डाॅ. जया दवे तथा पावन सानिध्य साध्वी प्रीति प्रियम्वदा का रहा।
संगोष्ठी में साढे़ तीन सौ से अधिक सहभागी सम्मिलित हुए। जयपुर के बाहरसे पधारे सभी आगन्तुकों के लिए अकादमी की ओर से यातायात-आवास-भोजन की निःशुल्क सुविधा प्रदान की गयी। संगोष्ठी में पंजीकरण पूर्णतः निःशुल्क था। इसमें तीन चर्चा-सत्रों में विभिन्न विश्वविद्यालयों से पधारे शिक्षक व शोधार्थियों के 108 शोध पत्र प्राप्त हुए जिनमें से चयनित 18 पत्र वाचकों को पत्र प्रस्तुति हेतु 1100रू. मानदेय मय यात्रा भत्ता प्रदान किये गये। देश के विभिन्न राज्यों व विदेश से पधारे हिन्दी व ब्रजभाषा के विद्वानों ने चर्चा में भाग लिया इनमें रूस से वृन्दारानी, जर्मनी से बृज सेविका, गोदावा-गणराज्य (यूरोप) से गंधर्विका विदेशी कृष्ण भक्त पाहुनों ने तथा बांसवाड़ा से हवेली संगीत गायक चन्द्र प्रकाश तंवर एवं वृन्दावन (हरे कृष्ण फाउण्डेशन) से श्यामा कुमारी तथा साथियों ने ‘ब्रज संस्कृति अरु कलानकौउत्कर्ष’ सत्र में संगीत व नृत्यकला का रोचक प्रस्तुतीकरण किया।
संगोष्ठी में प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र में आयोजित ‘ब्रज रस काव्य-सांझ’ में ब्रजक्षेत्र से पधारे कुल ग्यारह कवियों ने ब्रजभाषा काव्य सरिता में सभी श्रोताओं को ऐसा अवगाहन कराया कि सभी के रोमहर्ष राधे-कृष्ण के पावन भाव से भर गये। काव्य-सांझ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्रजवासी-ब्रजभाषी वरिष्ठ आई.ए.एस. सूरजभान जैमन रहे। अध्यक्षता, समाज सेवी श्री देवनारायण जैमन ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में आर.ए.एस. अधिकारीओमप्रकाश गुप्ता उपस्थित थे।
समापन सत्र में ‘कृष्ण चेतना कौ विश्व व्यापी स्वरूप’ विषय पर चर्चा हुई। श्री विट्ठल पारीक ने दो दिवसीय संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। डाॅ. शीताभ शर्मा ने ब्रजभाषा के मधुर छन्दों के साथ मंच संचालन किया। इस सत्र के मुख्य अतिथि केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के वर्तमान निदेशक डाॅ. नन्दकिशोर पाण्डेय रहे। विशिष्ट अतिथियों में देवर्षि कलानाथ शास्त्री तथा प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय (बनारस) तथा हिन्दी ग्रन्थ अकादमी की निदेशक डाॅ. अनीता नायर रही, अकादमी अध्यक्ष आई.ए.एस. कुलदीप रांका ने अध्यक्षता की।
संगोष्ठी कार्यकारिणी समिति में आयोजन प्रभारीः- गुलाब बत्रा, समन्वयकः- राजेन्द्रअग्रवाल, सहसंयोजकः- डाॅ. दीप्तिमा शुक्ला तथा श्यामदेवपुरा। सदस्योंमें:- डाॅ. नीतू महावर, डाॅ. राजेन्द्र शर्मा, डाॅ. अखिलेश शर्मा, रघुवीर शर्मा तथा महेश कुमार रहे।
संगोष्ठी में सम्मिलित हुए सभी सहभागियों ने आयोजन व्यवस्थाओं व भव्यता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
– डॉ. शीताभ शर्मा