नाटक
बाल नाटक- पानी पानी कितना पानी
पात्र:-
नट –नटी,
दीनू-12 साल
सीमा-10 साल
अमन-14 साल
फ़ातिमा-14 साल
आठ-दस ग्रामीण,कुछ और बच्चे
दृश्य-1
मंच पर धीरे-धीरे प्रकाश होता है फ़िर करुण संगीत।मंच पर एक तरफ़ एक बगीचे का दृश्य।ज्यादातर पेड़ पौधे मुरझाए नजर आ रहे हैं।(बच्चे भी पेड़ों के मुखौटे लगा कर खड़े हो सकते हैं या कटआउट्स का इस्तेमाल करें।)एक किनारे एक सूखा पड़ा हैंडपंप।पास में ही कुछ खाली बर्तन (घड़े,बाल्टी) उल्टे पड़े है।धीरे-धीरे पूरे मंच पर प्रकाश होता है।संगीत के साथ ही थिरकते हुए नट नटी का प्रवेश।दोनों मंच के बीच में रुक जाते हैं।)
नटी : (गाती है)
हरा समंदर गोपी चंदर
बोल मेरी मछली कितना पानी
हरा समंदर गोपी चंदर
बोल मेरी मछली कितना पानी
(नट नटी का गाया हुआ दुहराता है)
नट : हरा समंदर गोपी चंदर
बोल मेरी मछली कितना पानी
हरा समंदर गोपी चंदर
बोल मेरी मछली कितना पानी
नटी : पानी पानी पानी पानी
प्यास लगी है मुझको इतनी
पर दूर दूर ना दिखता पानी।
(नट चल कर नटी के पास आता है।उसका हाथ पकड़ कर रोकता है।)
नट : ये क्या पानी पानी चीखे जा रही हो? कुछ और नहीं गा सकती?
नटी : ओफ़्फ़ोह, तुम्हें गाने की सूझ रही। यहाँ प्यास के मारे गला सूख रहा। पानी पानी न चिल्लाऊं तो क्या करूं?
नट : (पीछे दिखा कर) वो देखो नलका है, जाकर चुपचाप पानी पी लो पर गला फाड़कर चीखो मत।
नटी : (नट के चेहरे केपास हाथ नचाकर) अरे तुम्हारी आंख है या बटन? दिखाई नहीं देता, नलका सूखा पड़ा है।
(नट पीछे मुड़ कर सूखे नलके के पास जाता है। उसके चारों ओर एक बार घूमता है, फ़िर पास पड़े खाली बर्तनों को उलट-पलट कर नटी की ओर घूम कर माथा पकड़ कर बैठ जाता है।)
नट : हे राम, यहाँ तो सब कुछ सूखा पड़ा है- नलका, बर्तन, भाड़े सभी कुछ।
नटी : वही तो मैं भी कह रही हूँ, हाय मेरा गला सूख रहा, मैं क्या करूं?
(मंच पर बेचैनी से इधर-उधर चहलकदमी करती हैं। नट उसके पास आता है।उसका हाथ पकड़ता है। दोनों मंच के दूसरी ओर जाते हैं।)
नट :अच्छा थोड़ी देर तो प्यास रोक लो, बच्चों को नाटक दिखाकर फ़िर पानी पी लेना।
नटी: (गुस्से में) आय हाय! मरी जा रही हूँ मैं और तुम्हें नाटक की पड़ी है। भाड़ में जाय तुम्हारा नाटक।
नट : अच्छा बैठो, बैठ जाओ बाबा। मैं ढूंढ़ कर लाता हूँ पानी।
(दर्शकों की तरफ़ मुड़कर) भैया आप में से किसी के पास पानी है?
(कई दर्शक हाथ हिलाकर मना करते हैं।)
नट : (करुण स्वरों में) किसी के पास एक घूंट भी पानी नहीं। चलो किसी और से मांगते हैं।
(दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ जाते हैं।)
दृश्य-2
(एक पार्क का दृश्य। पार्क के ज्यादातर पौधे सूखे दिखाई दे रहे हैं। कुछ सूखे पेड़ भी हैं, जिनमें पत्तियां नहीं हैं। पार्क के बाहर एक सरकारी पाइप। वहाँ भी पानी लेने वालों की लम्बी क़तार। पानी लेने वालों की क़तार में दीनू, सीमा, अमन, फातिमा भी खड़े हैं। सभी के हाथों में खाली बाल्टियाँ डिब्बे हैं। नट-नटी भी वहाँ जाकर बम्बे से पानी पीना चाहते हैं।)
नटी : भैया बड़ी प्यास लगी है, थोड़ा पानी हमें पीने दो।
(कई लोग पीछे से चिल्लाते हैं)
एक व्यक्ति : अरे चलो चलो, हम लोग घंटे भर से लाइन में लगे हैं। जाओ पीछे लाइन में लग जाओ।
दूसरा व्यक्ति : यहाँ पानी लाइन से ही मिलेगा।
तीसरा व्यक्ति : हम सभी प्यासे हैं। घरों में पानी नहीं आ रहा।
नट : (हाथ जोड़कर) भैया पानी पी लेने दो, मेरी नटी बेचारी प्यासी है, मर जाएगी।
एक औरत : अरे भाई पी लेने दो बेचारी को पानी, कहीं सच में मर गयी तो पाप लगेगा।
(नटी सर पकड़ कर जमीन पर बैठ जाती है)
दो तीन औरतें : अरे हाँ भाई पीने दो। पानी पिलाना पुण्य का काम है।
पहला व्यक्ति: (गुस्से में) बड़ी आई पुण्य बांटने वाली। नहीं पीने देंगे बिना नंबर के पानी।
(कुछ औरतें आगे आती हैं। नटी को उठाकर आगे बढाती हैं। आगे वाले उन्हें रोकते हैं। सब चिल्लाते हैं। नट उन्हें शांत करता है)
नट : (रुआंसा होकर) भाइयों रुकिए, झगडा मत करिए। हम कहीं और से पानी ले लेंगे। चलो नटी कहीं और पानी पीना।
(नटी का हाथ पकड़ कर नट आगे बढ़ता है। नटी लड़खड़ाकर गिरती है। सीमा और फातिमा दौड़कर उसके पास आती हैं। उसके मुंह पर पानी का छींटा मार कर उसे होश में लाती हैं, उसे पानी पिलाती हैं। नट-नटी आगे बढ़ते हैं। मंच के दूसरे छोर पर जाकर रुक जाते हैं। नटी दर्शकों की तरफ घूमकर खड़ी होती है।)
नटी : भैया आप लोग बताइए, ये पानी का अकाल पड़ा है क्या? क्या इतनी कमी हो गयी कि पानी के लिए लाइन लगानी पड़ती है?
(दर्शकों में से दीनू खड़ा होता है। उठकर मंच पर आता है।)
दीनू : हाँ हाँ, अब तो ट्रेन, बस, बैंक की ही तरह पानी की भी लाइन लगानी होती है।
नटी : पर ये पानी की अचानक इतनी कमी क्यूँ हो गयी? सारा पानी जाता कहाँ है?
नट : हा हा हा हा, खूब पूछा पानी जाता कहाँ है? जब रोज नलका खुला छोड़कर फालतू पानी बहाती हो, तब नहीं सोचती?
नटी : (गुस्से से) तुम तो हरदम लड़ने को तैयार रहते हो। खाली मेरे पानी बहा देने से धरती पर पानी कम हो गया?
दीनू : नहीं काकी, सिर्फ आप नहीं, दुनिया का हर आदमी आज यही सोचकर पानी बर्बाद कर रहा है।
(नटी आश्चर्य से दीनू की तरफ देखती है।)
दीनू : चलिए काकी मैं आपको दिखाता हूँ पानी कहाँ जा रहा। कौन बर्बाद कर रहा है।
(नट-नटी और दीनू मंच के दाहिनी तरफ जाते हैं। दृश्य फेड आउट होता है)
दृश्य-तीन
(मंच पर अलग-अलग कोनों में अलग-अलग काम करते हुए लोग। एक कोने में बेसिन की टोटी खुली है, पानी बह रहा है। वहीं एक व्यक्ति खड़ा मंजन कर रहा है। पूरे मंच पर अँधेरा। केवल बेसिन और व्यक्ति पर रोशनी। नट-नटी और दीनू आते हैं। वहाँ रुकते हैं। दीनू दर्शकों की तरफ मुड़कर गाता है।)
दीनू : ये देखो ये रोज सबेरे
मंजन करते हैं
इक लोटे पानी की जगह
इक बाल्टी बहाते हैं।
इनके जैसे देश में लाखों
रोज ही करते हैं
देखो काकी पानी की
हम सब कितनी इज्जत करते हैं?
(मंच पर ही प्रकाश दूसरी तरफ होता है। वहाँ एक महिला कपड़े पर साबुन घिस रही है। नलके के नीचे बाल्टी लगी है, टोटी खुली है और पानी लगातार बह रहा है। दीनू नट-नटी के साथ वहीं रुकता है, दर्शकों की और घूम कर गाता है।)
दीनू : देखो काकी काका देखो
ये भी अजूबा देखो
ताई जब तक घिसेंगी कपड़े
पानी बहता जाएगा
दो बाल्टी की जगह पे भैया
ड्रम भर पानी फेंका जाएगा।
(नट-नटी वहीं मंच के बीच में माथा पकड़कर बैठ जाते हैं। दीनू उनके पास आता है, उन्हें उठाता है।)
दीनू : काकी अब तो समझीं क्यों धरती पर पानी की कमी हो गयी? क्यों पानी की लाईन लग रही?
नटी: हाँ हाँ बेटवा, सब समझ गए। सब बूझ गए।
दीनू :आइये अब देखिये जो पानी हम बर्बाद कर रहे कितनी मेहनत से आता है।
(मंच का प्रकाश मंच के एकदम किनारे पड़ता है। वहाँ कुछ लोग कुआं खोद रहे हैं। दीनू नट-नटी को उधर इशारा करके दिखता है। दोनों उधर ध्यान से देखते हैं, कई बच्चे फावड़ा चला कर गड्ढा खोदने का अभिनय कर रहे हैं, कुछ बच्चे मिट्टी निकाल रहे हैं।)
अमन: (गाता है)
जोर लगा करा हइसा
कुआं खोदो हइसा
माटी खींचो हइसा
पानी ढीलो हईसा
जोर लगा करा हइसा।
(सभी बच्चे कुआँ खोदने का अभिनय करने के साथ गा रहे। नट-नटी भी दूर से देखते हैं)
दीनू: (नटी से ) देखा काकी पानी कहाँ से आता है? कितनी मेहनत लगती है?
नटी : हाँ देखा। और चलो अब दर्शकों को भी बताएं।
दीनू : सिर्फ बताएं ही नहीं समझाएं भी।
नट : कि ये जो पानी अमृत है उसे कैसे बचाएं हम सब मिलकर।
(तीनों जाते हैं। दृश्य फेड आउट होता है।)
दृश्य—चार
(मंच पर एक तरफ से नट-नटी नाचते हुए आते हैं, दूसरी तरफ से दीनू, सीमा,अमन,और फातिमा आते हैं।)
नट: सुन लो भैया, सुन लो बहना
सुन लो राजू, सुन लो मुन्ना
जल जीवन का अमृत है जब
बरबाद इसे मत करना।
नटी: टोटी खुली छोड़कर बाबू
कभी कोई काम न करना
जितने जल की लगे जरुरत
उतना ही बस भरना।
(नट-नटी गाते रहते हैं। दीनू, अमन और सीमा फातिमा मंच पर इधर-उधर दौड़कर टोटियां बंद करने, मग में पानी लेकर मुंह धोने, बाल्टी में पानी लेकर कपड़े धोने का अभिनय करते हैं।)
नट : पानी गर बरबाद करोगे
पछाताना होगा सबको
नटी : जैसे मैं प्यासी गिरती थी
प्यासे मरेंगे हम सब।
(नटी गाती हुई गिरने का अभिनय करती है। नट उसे सम्हालता है।)
नट : आओ सब मिल करें प्रतिज्ञा
बेकार न बहायें पानी को
नटी : धरती पर धरती के भीतर
बचा के रक्खें जल को
(नट-नटी के गाने के बीच दीनू, सीमा, अमन, फातिमा ज़मीं खोदने, पानी भरने, फालतू बहते हुए पानी को रोकने का अभिनय करते रहते हैं। नट-नटी का गाना और बच्चों का अभिनय तेज होता है। बीच-बीच में कुछ बच्चे “जोर लगा के हईसा, पानी बचाओ हईसा” भी बोलते रहते हैं। नट-नटी का गाना, बच्चों का अभिनय एक साथ तेज होते जाते हैं, फिर एक झटके से बच्चे फ्रीज हो जाते हैं। मंच पर अँधेरा हो जाता है।)
– डाॅ. हेमंत कुमार