बाल-वाटिका
बाल कहानी- रिटर्न गिफ्ट
मन आज किसी राजकुमार की तरह लग रहा था। आज उसका जन्मदिन था। वह अपने दोस्तों का स्वागत कर रहा था। पार्टी के लिए घर के टैरेस को बहुत सुंदर ढंग से सजाया गया था। पार्टी में बच्चों को कई गेम्स खिलाए जा रहे थे। पहले अंत्याक्षरी का खेल हुआ, फिर म्यूज़िकल चेयर का आयोजन हुआ। उसके बाद बच्चे डांस फ्लोर पर अपने मनपसंद गानों पर दिल खोलकर झूमे।
माहौल बहुत खुशनुमा था। बस एक बात थी जो अमन को खटक रही थी। हाथ बटाने के लिए उसकी मम्मी ने घर में काम करने वाली मेड कुसुम को बुला लिया था। वह अपने साथ अपने छह साल के बेटे चिंटू को लेकर आई थी। चिंटू बड़े कौतुहल से सबकुछ देख रहा था। चिंटू का इस तरह उसके दोस्तों के बीच घूमना अमन को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। उसने दो एक बार आंखों ही आंखों में उसे घुड़का भी, पर चिंटू वहीं आस-पास मंडराता रहा।
केक कटा सबने अमन को जन्मदिन की बधाइयाँ दीं। अमन ने अपने दोस्तों के साथ फोटो खिचवाई। फिर सबने स्वादिष्ट खाने का मज़ा लिया। पार्टी समाप्त होने पर अमन ने अपने दोस्तों को रिटर्न गिफ्ट देकर विदा किया।
मेहमानों के जाने के बाद अमन जन्मदिन पर मिले हुए तोहफों को देखने लगा। तोहफों के बीच में एक लाल कागज़ में लिपटा पेंसिल बॉक्स रखा था। अमन ने वह बॉक्स अपनी मम्मी को दिखाते हुए कहा “मम्मी यह बॉक्स किसने दिया?”
“चिंटू ने” उसकी मम्मी ने जवाब दिया।
“तभी इतना घटिया है।” कहकर अमन ने उसे एक तरफ फेंक दिया।
अमन का यह व्यवहार उसकी मम्मी को पसंद नही आया। उन्होंने उसे पास बैठाकर समझाया, “बेटा तुम्हारे दोस्तों ने तुम्हें महंगे उपहार दिए क्यूंकि वह मंहगे उपहार खरीद सकते हैं। उनके जन्मदिन पर तुम भी उन्हें इतने ही मंहगे उपहार दोगे। पर चिंटू की मम्मी घरों में काम कर थोड़े से पैसे कमाती है फिर भी वह बड़े प्यार से तुम्हारे लिए यह बॉक्स लेकर आया। हमें दूसरों की भावनाओं की इज़्ज़त करनी चाहिए।”
अपनी मम्मी की बातों का अमन पर प्रभाव पड़ा। रात में बिस्तर पर लेटे हुए वह चिंटू के प्रति अपने व्यवहार के बारे में सोचता रहा।
सुबह वह स्कूल के लिए जल्दी तैयार हो गया। बस आने में कुछ समय था। वह मेड कुसुम के आने का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही कुसुम काम करने के लिए आई, वह भाग कर अपने कमरे में गया। जब लौटा तो उसके हाथ में एक गिफ्ट था। कुसुम को देते हुए बोला, “कल मैं चिंटू को रिटर्न गिफ्ट नहीं दे पाया। यह मेरी तरफ से चिंटू को दे दीजिएगा।”
उसके इस कदम के लिए उसकी मम्मी ने अमन को शाबाशी दी। अमन खुशी-खुशी अपने स्कूल चला गया।
– आशीष कुमार त्रिवेदी