बाल-वाटिका
बाल कविता- नन्हीं चिड़िया
नन्हीं-नन्हीं चिड़िया रानी,
मुझको बहुत लुभाती है।
मेरे जगने से पहले ही,
रोज़ सवेरे आती है।
चीं-ची, चूं-चूं करती रहती,
मुझको रोज़ उठाती है।
फुदक-फुदक कर दाना चुगती,
फिर झट से उड़ जाती है।
बैठ पेड़ की डाली पर वो,
मुझको गीत सुनाती है।
अपना काम समय पर करना,
सबको वो बतलाती है।
नील गगन में उड़ती चिड़िया,
मुझको बहुत सुहाती है।
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पहेली कविता- बताओ मेरा नाम
अजब अनोखी दुनिया मेरी
आसमान में रहता हूँ।
ग़ायब रहता सारा दिन मैं
रातों को ही दिखता हूँ।
लगता हूँ छोटा लेकिन मैं,
असल में बड़ा हूं जानो।
खूब चमकता अपने दम से,
बातें यह मेरी मानो।
अपने चमकीले रंगों से,
नभ को रोज़ सजाता हूँ।
सप्त ऋषि, लायरा जैसे,
तारामेघ बनाता हूँ।
धूल, कण, गैसों के मिश्रण से,
तप-तप कर मैंने जन्म लिया।
दस बीस चालीस नहीं बच्चों,
अरबों साल तक जिया।
ज़रा बताओ बच्चों झट से,
अब तो मेरा नाम।
चॉकलेट, मिठाई, खिलौने
सब मिलेगा इनाम।।
– मेराज रज़ा