बाल वाटिका
बाल कथा- पिकनिक
एक बार जंगल मे पशु-पक्षियों ने पिकनिक का कार्यक्रम बनाया। सभी समय पर इकट्ठे हुए। सारा दिन तरह-तरह के मनोरंजक खेल, गीत, नाच हुए। दोपहर को सबकी पसंद का खाना। थोड़ी देर बाद मोर ने सबको एक ज़रूरी सूचना दी- “सुनो! सब, अब होगी ईनामों की घोषणा।” सब ने ख़ुशी ज़ाहिर की।
“सबसे पहले जो पक्षी पूरे संसार को अपनी आवाज़ से जगाता है, उसे हम सूरज के आकार का मेडल देते हैं। क्योंकि जागने पर सूर्य देवता दिखते हैं।” अपनी कलगी को हिलाते हुए मुर्गा जी आए। धन्यवाद दिया।
“उसके बाद हम उल्लू को बुलाते हैं। यह रात भर जागकर जंगल की रखवाली करता है। इन्हें चाँद के आकार का मेडल देते हैं।” अब कोयल को बुलाकर मीठी आवाज़ के लिए आम के आकार का मेडल दिया जाता है। कोयल ने मधुर आवाज़ में धन्यवाद दिया। जब मोर ने चील को बुलाया तो सबको आश्चर्य हुआ। मोर ने कहा- “यह पक्षी मरे हुए जीवों को खाकर जंगल ही नहीं, पूरे वातावरण को स्वच्छ रखता है, इसे सात रंगों वाला स्वच्छता मेडल दिया जाता है।”
छोटी चिड़िया बार-बार चीं-चीं करके बोलना चाह रही थी, आगे आकर बोली- “अब मेरी सुनो, आज के कार्यक्रम के संचालक को सब की तरफ से फूलों की माला।” सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी। अगले साल इससे भी बड़ा आयोजन करने की बात करके अपने अपने घरों में गएl
– काशवी दत्ता