बाल-वाटिका
बालगीत- मुनिया रानी
भोली-भाली मुनिया रानी,
पीती थी वह दिनभर पानी।
दादा के सिर पर चढ़ जाती,
बड़े मज़े से गाना गाती।।
दादा-दादी, ताऊ-भैया,
नाच नचाती ताता थैया।
खेल-खिलौने रोज़ मँगाती,
हाथों अपने रंग लगाती।।
भैया से वह झगड़ा करती,
पर बिल्ली से ज़्यादा डरती।
नकल सभी की अच्छी करती,
नल में जाकर पानी भरती।।
दादी की वह प्यारी बेटी,
साथ उसी के रहती लेटी।
कथा-कहानी रोज़ सुनाती,
तभी नींद में वह सो जाती।।
– महेन्द्र देवांगन माटी
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