हाइकु
1.
पीड़ा के क्षण
हरे सदा ममता
देती माँ छाँव
2.
ये परिवेश
कूड़ा बीनें सुमन
मलिन वेश
3.
नहीं भूलता
मन अश्रु पातियाँ
छीजता है तन
4.
प्रकृति नटी
क्रोधित हो रच रही
चित्र विनाश
5.
सबका साथ
पाने माँ-बाप ताके
एकाकी राह
6.
हवाएँ लिखें
सुगंधिमय पत्र
प्रिया भू नाम
7.
अर्थ से बने
क्षणभंगुर रिश्ते
अर्थहीन से
8.
पिता प्रदाता
अपना दर्द भूल
वट की छांव
– डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई