हाइकु
फगुनाई हाइकु
फागुन आया,
हवा फगुनाई सी,
सिहरे मन
फागुन रंग
रंगे तन ओ’ मन
पिया का संग
हो गए हरे,
मन के सूखे वृक्ष,
रंग बरसा
ली अंगड़ाई,
मधुमास ने आज
फागुन आया
मली गुलाल,
तूने गुलाबी गाल
मचा बवाल
मचला मन,
साँसे गईं थिरक,
आया फागुन
होलिका जली,
बच गया प्रह्लाद,
फैला आह्लाद
टेसू रंग ले
खेले फाग पी संग,
मनवा आज
थिरक रहीं
पत्तियाँ तरुओं की,
थाप बयार
फागुन लिखे
सतरंगी हाइकु
तेरे नाम से
तुम ना जाना,
फागुन की तरह,
मौसम संग
– मंजु महिमा