हाइकू
प्रकृतिपरक हाइकू
सदा पूरक
पुरुष व प्रकृति
शुभ सूचक।
हम सबकी
है प्रकृति ही माता
सुंदर नाता।
पर्यावरण
न हुआ संरक्षण
होगा क्षरण।
कितना स्नेह
बाँटती माँ प्रकृति
लुटाए नेह।
तू ही जननी
प्रकृति माँ अद्भुत
तेरी करनी।
धरती माता
हैं तेरे आभूषण
वन उपवन।
यह वसुधा
प्रभु की जादूगरी
है हरी भरी।
प्रकृति ही है
जीवन का आधार
जाने संसार।
स्वस्थ प्रकृति
स्वच्छ घर आँगन
शुभ संगति।
चातक मन
चाहे आनंदमय
बरसे घन।
वायु, गगन
भू, पावक, जल
पंचायतन।
हर घर में
सिद्ध ये दो हकीम
तुलसी, नीम।
वन, पर्वत,
झरने, नदी, ताल
कैसा कमाल।
दुखता व्रण
पल-पल दूषित
वातावरण।
कोयल, मोर
देखे थे सपने में
ये चारों ओर।
यादों में गाँव
खेत, नहर, बाग
ठंडी-सी छाँव।
चमके तारे
बिखेरती सौगात
चाँदनी रात।
– डॉ. लवलेश दत्त