बाल-वाटिका
परीक्षा
बच्चे सोचते हैं परीक्षा है अत्याचार
पर उन्हें क्या पता,
वहीं करती है उन्हें आगे के लिए तैयार।
परीक्षा से है सफलता का रास्ता
क्याेंकि तभी कोई
जीवन में नहीं है फंसता।
परीक्षा तो एक घड़ी है
जिसके चलने से
दुनिया आगे बढ़ी है।
परीक्षाओं को कभी मत झेलना
परीक्षाओं को किसी
खेल की तरह खेलना।
एक बात लो सोच
परीक्षा नहीं है बोझ।
परीक्षा है आपको जांचने का जरिया
आप बताओं क्या होगा इससे बढ़िया।
परीक्षा को मित्र बनाएं
ताकि वह आपको सच्ची राह पर ले जाएं।
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आठ नवंबर
आठ नवंबर को आया समाचार
कि बन्द होगा पांच सौ और हजार के नोटो का कारोबार
बारह बजे तक रहेंगे मान्य
फिर हो जाएगे कागज के समान
सुनते ही आम जनता परेशान
थोड़े से हल सुने तो आई जान में जान
बैक के बाहर लंबी कतार
सब कर रहे है अपनी बारी का इंतजार
दुखी लोग सोच रहे, कोई तो करे इसके खिलाफ प्रचार
और कुछ सोच रहे कि बाद में होगे फायदे हजार
हजार और पाँच सौ के नोट जले
कुछ दिन बाद देखा तो कूड़े के ढेर में थे पड़े
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पापा का प्यार
पापा और बेटे का रिश्ता है महान
हर किसी को मिलती एक नयी पहचान
मिलता है एक नया संसार
जिसमें मिलते प्यार के नये प्रकार
जब भी हम गुस्सा होकर रूठ जाते
तब हमें मनाकर कुछ खिलाते पिलाते
कई बार ले जाते हमें घुमाने फिराने
ताकि हम कुछ नयी चीजें जाने
पापा जीत लेते अपने बेटे का दिल
जैसे वह हो उनकी सबसे बड़ी मंजिल
यही है पापा बेटे का प्यार
जैसे कोई हो बड़ा-सा त्योहार
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प्रदूषण भगाओ एक संकल्प
प्रदूषण बदल देता है, जिन्दगी के क्षण क्षण को
प्रदूषित कर देता है, धरती के कण कण को
अगर ठान लें हम अपने अंर्तमन में
और उतर जाए मैदाने जंग या रण में
तो लेकर पदक जीत का
कर देंगे अंत प्रदूषण का
प्रदूषण कर रहा लोगों, पेड़ पौधों पर अत्याचार
और वैज्ञानिकों ने भी की खोजें अपरंपार
लेकिन बहुत कम की प्रदूषण के खिलाफ
अब मात्र एक है उपाय
सब मिलकर बढ़ाएं हाथ
लेकर संकल्प दृढ़ता से
और मिटा दें इसका नामोनिशान
लोग कहते है हम स्वतंत्र हैं आजाद हिन्दुस्तान में
पर उन्हें क्या पता कि वे घिरे हैं प्रदूषण की चारदीवारी में
तो चलिए मेरे साथ
और प्रदूषण को कर दीजिए खलास
– दिव्यांश जैन