ख़बरनामा
नौकरानी को महारानी न बनाएँ हिन्दुस्तानी- डॉ.वैदिक
इंदौर। हिन्दी भाषा भारत का अभिमान है, जब हम चर्चिल को राष्ट्रपिता नहीं बोलते और बापू को आदर देते है तो फिर अंग्रेजी को महत्व क्यों दे रहे है। हमें हमारी स्वभाषा से प्रेम करना चाहिए, अंग्रेजी नौकरानी है, उसे महारानी न बनाएं और हिन्दी में हस्ताक्षर करें। उक्त उदगार डॉ.वेद प्रताप वैदिक ने अन्तरा शब्दशक्ति सम्मान 2018 के आयोजन में कहे,जो साउथ एवेन्यू होटल में सम्पन्न हुआ।
साहित्य के क्षेत्र की ख्यात संस्था अन्तरा शब्दशक्ति व हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कार्यरत हिन्दीग्राम व मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा शनिवार को इंदौर में समारोह आयोजित किया जिसमें मुख्य अतिथि प्रखर लेखक, चिंतक, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विश्लेषक डॉ. वेद प्रताप वैदिक थे व अध्यक्षता साहित्यकार हरेराम वाजपेयी जी ने की। साथ ही अति विशिष्ट अतिथि के रुप में स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल जी व पतंजली योगप्रचारक प्रकल्प हरिद्वार के आचार्य नवीन संकल्प जी थे।
आयोजन में 9 पुस्तकों का विमोचन हुआ और साथ ही देश के 24 राज्यों से आए 120 साहित्यकारों का सम्मान किया गया। स्वागत उदबोधन डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ ने दिया व मंच संचालन विख्यात कवयित्री राशी पटेरीया ने किया। अन्त में आभार डॉ.प्रीति सुराना जी ने व्यक्त किया| आयोजन में वूमन प्रेस क्लब की अध्यक्षा शीतल रॉय, के बी एस प्रकाशन दिल्ली से संजय साफी, भावना शर्मा, स्टेट प्रेस क्लब के महासचिव विजय अड़िचवाल, इंदौर प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य अजय भट्ट व विजय गुंजाल, भारत रक्षा मंच से कमल कुमार जैन, लक्ष्मीकांत पण्डित,आकाश चौकसे, कैलाश बिहारी सिंघल, जय कृष्ण चाण्डक, हेमन्त बोर्डिया,भीम मैंदड़, रोहित त्रिवेदी सहित सैकड़ों लोग सम्मिलित हुए। उक्त जानकारी संस्थान के संवाद सेतु रोहित त्रिवेदी ने दी।
विश्व में प्रथम बार हिन्दी माँ का चित्र रुप अनावरित
हिन्दी ग्राम के संस्थापक डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ की परिकल्पना को चित्रकार माणिक चित्रिव जी ने हिन्दी माँ का चित्र बनाया जिसका अनावरण अतिथियों द्वारा किया गया, हिन्दी माँ की वंदना, सहयोगी डॉ.प्रीति सुराना ने लिखी।
9 किताबों का विमोचन हुआ
मकरंद, अपूर्वा, गूंजन, कथासेतु,अनुबंध, स्पंदन, मातृभाषा.कॉम सहित आचार्य नवीन संकल्प जी की पुस्तक अवयक्त प्रवाह का विमोचन हुआ।
– आज़र ख़ान