हायकु
उसका प्यार
सिर्फ है नफरत
पूछो मुझसे
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बिजली खम्भा
दूर गाँव सड़क
सुविधा नहीं
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वो भ्रष्टाचारी
वतन को बेचते
लुटेरे नेता।
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बात पते की
मिलकर बाँटते
कवि ये सारे
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अँधा युग है
ढूंढते सब लोग
ऐशो-आराम
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बिजली काटी
पानी बन्द हो गया
है लोकतन्त्र
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डूबी दुनिया
हो रहा है पतन
पश्चिमी तन्त्र
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जुआ खेलते
विकासधारा रूकी
उपाय खोजो
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दारू सेवन
होता दुष्परिणाम
सुझाओ हल
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सट्टा बाजार
बढ़ता कारोबार
लोग कंगाल
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राष्ट्रीय खेल
मिलकर बढ़ाओ
इस धारा को
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मन को जीते
सबसे अलग जो
अवतार है
– मन्जीत सिंह अवतार