कर्मभूमि-अहमदाबाद
नववर्ष पर विशेष साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संध्या का आयोजन
4 जनवरी 2020 को ‘साहित्य, कला एवं संस्कृति’ के क्षेत्र में अग्रसर ‘कर्मभूमि’ संस्था ने एक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संध्या ‘The Hidden Agenda’ का आयोजन किया। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य उन प्रतिभावान कलाकारों को प्रेरित कर उनके लिए मंच प्रदान करना था, जो समय के साथ अपनी अन्य प्राथमिकताओं को आगे रख स्वयं को उतना समय नहीं दे सके; जितना दिया जाना आवश्यक था। यही कारण था कि ‘कर्मभूमि’ का यह कार्यक्रम विशेष रूप से महिलाओं के लिए ही था।
यह संस्था, बच्चों का हमेशा से स्वागत करती आई है। इस बार भी दो बाल कलाकारों मृगांक एवं अभिन्न ने दर्शकों का दिल जीत लिया। कक्षा 6 के छात्र, मृगांक ने गिटार पर ‘चुरा लिया है तुमने, ‘गुलाबी आँखें जो तेरी देखीं’ की सुमधुर धुन छेड़ी तथा अभिन्न ने पियानो पर ‘ए दिल है मुश्क़िल’ का शीर्षक गीत सुनाकर सभी के हृदयों को तरंगित कर दिया। कक्षा 8 के छात्र अभिन्न ने कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान की धुन भी बजाई। ‘अस्तित्व’ विषय पर 18 वर्षीय जाह्नवी की कविता भी ख़ूब सराही गई।
श्री गोपालदास नीरज जी की जयंती पर आयोजित इस कार्यक्रम का प्रारम्भ नीरज जी की रचनाओं से हुआ। उनके काव्य-पाठ का एक संक्षिप्त वीडियो भी दिखाया गया।नई प्रतिभाओं के अद्भुत प्रदर्शन के साथ-साथ, इस आयोजन में अपने-अपने क्षेत्र में स्थापित रचनाकारों का एक अलग ही रूप देखने को मिला।मधु सोसी जी ने ‘नथ’ कहानी का अत्यन्त रोचक पाठ किया। एक तो हास्य का तड़का, उस पर मधु जी की विशिष्ट कहन शैली; सबने जी भरकर आनंद लिया। हँसी की ये फुहारें तब तेज बौछारों में तब्दील हो गईं, जब मल्लिका मुखर्जी और नीता व्यास जी ने गौतम राय के लिखे बांग्ला नाटक के हिन्दी अनुवाद ‘चक्षुदान’ का एक अंक ‘वाचिकम’ के माध्यम से प्रस्तुत किया। वाचिक अभिनय,अभिनय के चार प्रकारों में से एक है, इसमें वाणी के आरोह-अवरोह से ही बोलने वाले की मुखमुद्रा और भावभंगिमा को अनुभूत किया जा सकता है। इस नाटक का हिन्दी अनुवाद मल्लिका जी ने ही किया है जो ‘हस्ताक्षर’ में प्रकाशित भी हो चुका है।
स्पेशल चाइल्ड के प्रति समाज का एक अलग ही रवैया होता है। दुःख की बात है कि यह ज्यादातर नेगेटिव ही होता है। हमारे बीच एक ऐसी माँ उपस्थित थीं जिन्होंने कविता के लिए इसी विषय को चुना। शिखा भार्गव जी ने ‘स्पेशल चाइल्ड’ पर अपनी दो सशक्त कविताएँ सुनाकर सबकी आँखें नम कर दीं। कार्यक्रम के वे पल बेहद भावुक थे।
नीता व्यास जी, गुजराती भाषा में एवं कविता पंत जी हिन्दी में कविता लिखती हैं। उन्होंने क्रमशः ‘आज जाने की ज़िद न करो’ तथा ‘किसी रंज़िश को हवा दो’ को इतनी ख़ूबसूरती से गाया कि सभी मंत्रमुग्ध हो सुनते रहे। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए कल्याणरूपा जी ने वायलिन पर, 15 वीं शताब्दी के संत कवि नरसी मेहता द्वारा लिखा गुजराती भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाणे रे’ सुनाया। यह गाँधी जी का प्रिय भजन था।कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति भी बेहद शानदार रही जब प्रिय गज़लकारा निशा सिंघल जी ने अनूठे अंदाज़ में ‘दीवानी हो गई’ पर दीवानगी भरा नृत्य पेश किया।
समापन के समय दर्शकों को विशेष धन्यवाद एवं कार्यक्रम की सफ़लता का श्रेय सभी प्रतिभागियों को देते हुए टीम कर्मभूमि ने सबके प्रति आभार व्यक्त किया।
– कर्मभूमि अहमदाबाद