छंद-संसार
दोहे
निर्मल कोमल है सरल, भाषा की तक़दीर।
शुद्ध भावना से बनी, हिन्दी की तस्वीर।।
दीन दुखी सेवा दया, परमारथ सदकर्म।
यश वैभव इनसे बढ़े, दानशीलता धर्म।।
देशप्रेम सबसे बड़ा, सैनिक का सम्मान।
याद करो बलिदान को, यश-गाथा गुणगान।।
सतपथ के राही बनो, चलो धर्म की राह।
कठिनाई सहते चलो, यश वैभव की चाह।।
यश वैभव मिल जाय तो, मत करना अभिमान।
सदगुण से होती सदा, विनयी की पहचान।।
यश गौरव बढ़ता रहे, कृपा करें जगदीश।
चरण वन्दना कर रही, झुका हुआ है शीश।।
जन-गण-मन के गान से, दे ध्वज को सम्मान।
फहर तिरंगा कर रहा, सैनिक का यशगान।।
सुबह सुबह ले फावड़ा, निकले नित मज़दूर।
खेती सुख साधन बने, श्रम करता भरपूर।।
रमती है सबके हृदय, लिखती जन-जन पीर।
सुख के रंगों से रची, हिन्दी की तस्वीर।।
– रीता ठाकुर