थाइलॅंड में आयोजित होने वाले परिकल्पना साहित्य सम्मान 2015 के लिए प्रीति अज्ञात और अतुल श्रीवास्तव के नाम की घोषणा
नई दिल्ली, लखनऊ, काठमांडू, थिम्पू और कोलम्बो के बाद परिकल्पना का छठवाँ अन्तर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन थाईलैंड (पटाया और बैंकॉक) में जनवरी 2016 में आयोजित होगा। इस सम्मेलन में देश के दो ब्लॉगरों को पुरस्कृत किया जाएगा। हस्ताक्षर परिवार को आपको यह सूचित करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि इनमें एक नाम हमारी पत्रिका की संपादक प्रीति ‘अज्ञात’ का है। ज्ञातव्य हो कि प्रीति स्कूल के दिनों से ही लेखन-कार्य में रूचि लेती रहीं हैं। देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनके आलेख व कविताएँ प्रकाशित हो चुके हैं। उनके दोनों ब्लॉग्स ‘यूँ होता…तो क्या होता!’ और ‘ख़्वाहिशों के बादलों की…कुछ अनकही, कुछ अनसुनी’ पर वे नियमित रूप से लिख रही हैं। संवेदनशील कविताओं के अलावा, सामाजिक मुद्दों पर भी इनकी लेखनी बेबाकी से चलती है। पिछले तेरह वर्षों से इनकी पहचान एक लेखिका के साथ-साथ, सक्रिय सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में भी है।
प्रीति ‘अज्ञात’ के अलावा दूसरा नाम राजनांदगाँव के जुझारू पत्रकार अतुल श्रीवास्तव जी का है, जो कि पत्रिका अख़बार से जुड़े हुए हैं। देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनके लेख प्रकाशित होते हैं। अतुल जी एक ब्लॉगर भी हैं और इनके ब्लॉग का नाम ‘सत्यमेव जयते’ है। राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर ये शानदार लिखते हैं।
परिकल्पना साहित्य सम्मान 2015 के लिए, आप दोनों के चयन पर हार्दिक बधाइयाँ!
आयोजन समिति से जुड़े रविन्द्र प्रभात जी के अनुसार लखनऊ से प्रकाशित हिंदी मासिक पत्रिका, ‘परिकल्पना समय’ और सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था, ‘परिकल्पना’ संयुक्त रूप से यह आयोजन करती है। इस अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह आलेख वाचन, चर्चा-परिचर्चा में देश-विदेश के अनेक साहित्यकार, चिट्ठाकार, पत्रकार, संस्कृतिकर्मी, हिंदी प्रचारकों व समीक्षकों की उपस्थिति रहेगी। परिकल्पना, पिछले पांच वर्षों से ऐसी विभूतियों को सम्मानित कर रही है जो ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कला, साहित्य, समाज और संस्कृति के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं।
इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में तीन सत्र होंगे। जिनके विषय हैं- ब्लॉग के माध्यम से एशिया में शांति-सद्भावना की तलाश, एशिया में भाषाई सद्भावना और उत्पन्न समस्याएँ तथा एशिया में साहित्यिक-सांस्कृतिक आदान-प्रदान। इसके साथ ही काव्य-संध्या व लोक-कला प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जायेगा।
– के. पी. अनमोल