ख़बरनामा
‘जो घर फूंके आपना’ पर पाठक मंच की परिचर्चा
छिन्दवाड़ा। पाठक मंच, छिन्दवाड़ा ने लेखक अरुणेंद्र नाथ वर्मा की 9 खंडो पर आधारित हास्य व्यंग्य उपन्यास ‘जो घर फूंके आपना’ पर साहित्यकारों और पाठकों के मध्य परिचर्चा कराई। मानसरोवर कॉम्प्लेक्स छिन्दवाड़ा में आयोजित इस परिचर्चा गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक एवं चिकित्सक डॉ. कौशल किशोर श्रीवास्तव ने की। कार्यक्रम के प्रारम्भ में कवि शिव शंकर शुक्ल लाल ने उपन्यास के महत्वपूर्ण अंशो पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जटिल विधा है कथ्य के नेपथ्य में जाकर शब्दों का संधान करने और पाठको को बांधने में व्यंग्य उपन्यास सार्थक सिद्ध हुआ है।
क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रकाश शर्मा ने कहा कि आज जब लोग हंसना भूल गए है, तब लेखक की यह कृति ने बड़े सहज सरल ढंग से खूब हंसाया। उपन्यास का अंत भी सुखद ढंग से किया गया है। लक्ष्मण प्रसाद डेहरिया ने चर्चा को गति देते हुए कहा कि लेखक ने जिस ढंग से सटीक कहावतें और मुहावरे का प्रयोग किये हैं उससे हास्य व्यंग्य और रोमांच उपस्थित हो जाता है।
पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. कौशल किशोर श्रीवास्तव ने कहा कि लेखक हिंदी के साथ न्याय नहीं कर पाए, फिर भी उपमाओं की बौछारें हैं एवं उक्तियों के मोती जड़े हैं, जिससे पाठकों की उत्सुकता अंत तक बनी रहती है। सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि कृति की उपलब्धि ही इसमें है कि रोचकता में कमी नहीं आने देती। एक ही बैठक में पाठक से पूरा पढ़वाने का मादा रखती है। रणजीत सिंह परिहार ने कृति को गौ मुख से निकली मंदाकिनी बताया।
इस कार्यक्रम में स्वप्निल गौतम, राजेन्द्र यादव भी विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का प्रारम्भिक संचालन और आभार प्रदर्शन पाठक मंच के संयोजक विशाल शुक्ल ने किया।
– के. पी. अनमोल